March 28, 2024

नई पहल : होम स्टे क्लस्टर्स में अपने खर्च पर रात्रि प्रवास करेंगे जिले के अधिकारी: डीएम ने दिए निर्देश

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नवीन समाचार, नैनीताल, 15 नवंबर 2022। जिला प्रशासन नैनीताल की नवीन पहल के अंतर्गत जनपद नैनीताल के चयनित ग्रामों में विकास को गति देने के उद्देश्य से अधिकारी अपने खर्च पर होम स्टे में रात्रि निवास करेंगे और धरातल पर उतर कर कार्य करेंगे। ऐसा करने से न केवल उन्हें जमीनी हकीकत का ज्ञान होगा, बल्कि ग्रामीण आर्थिकी को भी बढ़ावा मिलेगा। यह भी पढ़ें : आज हुई भवाली के पास दुर्घटना, वीडियो सहित देखें, पता चलेगा कैसे होती हैं पहाड़ पर दुर्घटनाएं..

डीएम धीराज गर्ब्याल ने बताया कि जनपद नैनीताल के मुख्यतः उद्यान, कृषि, समाज कल्याण, युवा कल्याण, पर्यटन, अर्थ एवं संख्या, जल संस्थान, डेयरी, पशुपालन, सहकारिता, सेवायोजन, पंचायती राज, जिला ग्राम्य विकास अभिकरण, संबंधित खंड विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी व अन्य विभागों के अधिकारी इस योजना के तहत पर्यटन विभाग की दीन दयाल होम स्टे योजना से पारंपरिक शैली में निर्मित होम स्टे में रात्रि प्रवास करेंगे। यह भी पढ़ें : वहां लिव-इन में रहने वाली महिला के 35 टुकड़े, यहां भतीजे के साथ लिव-इन में रहने वाली महिला की संदिग्ध मौत…

इस प्रवास के दौरान विभागीय अधिकारियों के द्वारा संबंधित ग्रामों में अपने विभाग की ध्वजवाहक योजनाओं से स्थानीय निवासियों को परिचय भी कराया जायेगा। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा प्रायोजित योजनाओ के अंतर्गत, जनपद में फलोद्यान पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्तमान में रामगढ़ फॉर्म में बागान और नर्सरी के विकास के बाद कैफे और कॉटेज का निर्माण गतिमान है, जिससे इस क्षेत्र में नई अर्थव्यवस्था का विकास होगा। यह भी पढ़ें : महज इतनी सी बात पर हल्द्वानी में सर्राफ पर की गई गोलीबारी…

इसी तर्ज पर ग्राम प्रवास के दौरान चयनित ग्राम में सेब और कीवी के प्लांटेशन की योजना का क्रियान्यवन उद्यान विभाग द्वारा किया जाना प्रस्तावित है। साथ ही अन्य विभागों द्वारा भी अपने विभागों से संबंधित योजनाओं को धरातल पर उतारने हेतु प्रेरणा मिलेगी। साथ ही होम स्टे और स्थानीय खान-पान का प्रचार-प्रसार भी हो सकेगा। प्रवास के दौरान आने वाले व्यय का वहन विभागीय अधिकारियों द्वारा स्वतः किया जायेगा जिससे होम स्टे संचालकों को सीधे लाभ पहुंचेगा व उनकी आर्थिकी में वृद्धि हो सकेगी। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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-केएमवीएन आगामी मार्च माह से यहां करायेगा बड़े स्तर पर ट्रेकिंग-होम स्टे
नवीन समाचार, नैनीताल, 17 दिसंबर 2018। केएमवीएन यानी कुमाऊं मंडल विकास निगम आगामी मार्च माह से कुमाऊं मंडल के पंचाचूली एवं पिंडारी ग्लेशियर के यात्रा मार्गों पर बड़े स्तर पर ट्रेकिंग एवं होम स्टे की योजना को आगे बढ़ाना जा रहा है। इस हेतु निगम ने पुणे के युवा शक्ति ग्रुप को ट्रेकिंग व होम स्टे की व्यवस्थाओं को देखने के लिए इन यात्रा मार्गों पर भेजा था। युवाओं का दल दारमा, नामिक, नारायण आश्रम तक जाकर ट्रेकिंग-होम स्टे करके क्षेत्र से लौट आया है। सोमवार को दल के सदस्यों, युवा शक्ति पुणे के प्रेजीडेंट डा. अजीत साने, सचिव विनय रांग्लेकर, आईटी व पब्लिसिटी एक्सपर्ट अक्षय गोखले तथा उनके साथ गये केएमवीएन के साहसिक पर्यटन के विशेषज्ञ रमेश कपकोटी ने लौटकर मुख्यालय में पत्रकार वार्ता कर अपने यात्रा अनुभवों को साझा किया तथा यात्रा मार्ग की व्यवस्थाओं की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
सूखाताल स्थित निगम के टीआरएच में सोमवार शाम आयोजित पत्रकार वार्ता में सदस्यों ने बताया कि यात्रा मार्ग पर होम स्टे हेतु घर अलग हरे रंग तथा आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किये गये हैं। वहीं निगम के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि यात्रा मार्ग के प्रचार-प्रसार के साथ अपने कार्मिकों को भी पर्वतारोहण, आपदा-प्रबंधन, सुरक्षा-बचाव, प्राथमिक उपचार एवं साफ-सफाई आदि का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस कड़ी में 15 कर्मियों को नैनीताल माउंटेनियरिंग क्लब में कोर्स कराया गया, आगे 10 को टेक लीडरशिप कोर्स मसूरी में और सात को निम में कोर्स कराया जाएगा। साथ ही आगे से रोस्टर बनाकर नये लोगों को भी कोर्स कराये जाएंगे, बेहतर प्रदर्शन करने वालों को आगे के कोर्स भी कराए जाएंगे, ताकि इस कार्य में लगे सभी कार्मिक प्रशिक्षित होकर बेहतर सुविधाएं दे सकें। बताया कि युवा शक्ति पुणे के देश भर में हजारों सदस्य हैं, जिन्हें वे देश में हर जगह ट्रेकिंग पर ले जाते हैं। नारायण आश्रम वाले रूट पर भी और नामिक गांव में भी होम स्टे की सुविधा शुरू कर दी गयी है, आगे बड़े स्तर पर होम स्टे कराया जाएगा। बताया कि 2015 से कुटी गांव से शुरुआत की गयी थी। आगे ग्रामीणों को मौन पालन एवं बागवानी के प्रशिक्षण भी मंडी परिषद की ओर से देकर उन्हें गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराकर पलायन करने की जगह गांव में ही रोजगार दिलाया जा रहा है।

डेढ़ दशक के बाद पंचाचूली फतह करने के लिए निकलेगा पर्वतारोहियों का दल

राष्ट्रीय सहारा, 15 अक्तूबर 2018 पेज-2
गत दिनों पंचाचूली के आरोहण के लिए रेकी के दौरान पर्वतारोही।

-कुमाऊं की चोटियों की ओर पर्वतारोहियों को आकर्षित करने एवं होम स्टे को बढ़ावा देने की ही अंतर्निहित भावना
नवीन जोशी, नैनीताल, 12 अक्तूबर 2018। महाभारत के पांच पांडव भाइयों युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल व सहदेव की चूलियों यानी चोटियों (कहीं चूल्हों के लिए भी प्रयुक्त) पंचाचूली की पांच चोटियां उत्तराखंड के बड़े हिस्से से नजर आती हुई पर्यटकों के साथ ही पर्वतारोहियों को भी हमेशा से आकर्षित करती रही हैं। इन चोटियों को छूने को हर मन मचलता भी है, किंतु इसे प्रयासों की कमी ही कहा जाएगा कि अब तक इतिहास में केवल पांच बार और इधर उत्तराखंड राज्य बनने के बाद तो केवल एक बार इन चोटियों को छूने के प्रयास हुए हैं। 2003 के बाद कोई प्रयास हो भी नहीं पाया है। लेकिन इधर अगले सप्ताह करीब एक दर्जन पर्वतारोहियों का दल इन चोटियों को चूमने निकल रहा है। इस अभियान के पीछे कुमाऊं की चोटियों की ओर पर्वतारोहियों को आकर्षित करने एवं होम स्टे को बढ़ावा देने की अंतर्निहित भावना निहित है। इस हेतु पर्वतारोही गत दिनों पंचाचूली की रेकी भी कर आये हैं।
पंचाचूली के साहसिक अभियान में सहयोगी की भूमिका निभा रहे केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि आगामी 16 अक्टूबर को करीब 1 दर्जन पर्वतारोहियों का दल विश्व की सबसे कम उम्र की कंचनजंघा चोटी पर चढ़ने वाली 22 वर्षीय पर्वतारोही शीतल राज एवं एवरेस्ट विजेता योगेंद्र गर्ब्याल के नेतृत्व में रुद्रपुर से पंचाचूली की पंाचवी चोटी को फतह करने के लिये रवाना होंगे। यहां से यह दल पंचाचूली के बेस कैंप दुग्तू पहुंचेगा, जो कि देश का सबसे आसान, सड़क मार्ग से जुड़ा किसी भी हिमालयी चोटी का बेस कैंप है। आगे दल के सदस्य दातू गांव में होम स्टे करेंगे। इस अभियान को महिंद्रा समूह की ओर से प्रमोट किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस अभियान की सफलता के बाद देश के अन्य पर्वतारोही भी इस ओर आने का रुख करेंगे। इससे देश-दुनिया की सबसे खूबसूरत घाटियों में शामिल दारमा वैली में होम स्टे के जरिये समृद्धि की राह भी खुलेगी।

1972 में हुआ था पहला प्रयास, 2003 के बाद कोई प्रयास नहीं
नैनीताल। पांच चोटियों वाली पंचाचूली की चोटियां क्रमशः 6355, 6904, 6312, 6334 व 6437 मीटर ऊंची हैं। सर्वप्रथम 1972 में आईटीबीपी के दल ने हुकुम सिंह के नेतृत्व में पंचाचूली की पहली चोटी को फतह किया था। जबकि 26 मई 1973 को सर्वप्रथम महेंद्र सिंह की अगुवाई में गये आईटीबीपी के जवानों ने उत्तरी बलाती ग्लेशियर की ओर से इस समूह की सबसे ऊंची 6904 मीटर की दूसरी चोटी को फतह किया था। वहीं तीसरी चोटी के लिए पहला प्रयास मुन्स्यारी की ओर से दक्षिणी बलाती ग्लेशियर के रास्ते 1996 में हुआ था, किंतु यह प्रयास हिमस्खलन के कारण हुई एक दुर्घटना के कारण असफल रहा था। 1998 में कर्नल भट्ट की अगुवाई में भारतीय सेना के इंजीनियरों के एक बड़े अभियान में दुक्तू ग्लेशियर व धौलीगंगा नदी के रास्ते फिर से प्रयास हुआ, किंतु वह प्रयास भी असफल रहा। इस प्रकार यह चोटी अब तक फतह नहीं की जा सकी है। वहीं चौथी चोटी को 1995 में न्यूजीलेंड के जॉन ननकर्विस, ऑकलेंड के पीटर कैमल, डनेडिन के जॉन कॉक्स, ओमारू के पीटर प्लैट्स ने फतह करने का प्रयास किया था। जबकि पांचवी चोटी के लिए पहला सफल प्रयास 1992 में भारतीय व ब्रिटेन के पर्वतारोहियों क्रिस बॉनिंग्टन व हरीश कपाड़िया ने संयुक्त रूप से किया था।

ऑनलाइन होगी कुमाऊं के ट्रेकिंग रूटों पर ‘होम स्टे’ की बुकिंग

69वें गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड के होम-स्टे/ग्रामीण पर्यटन की झांकी

नैनीताल। देश ने इस वर्ष गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड की झांकी के रूप में प्रदेश के जिस अभिनव प्रयोग-होम स्टे की झांकी को देखा, कुमाऊं मंडल विकास निगम का वह प्रयास कम समय में ही तेज गति से अपने पंख फैला रहा है। निगम की ओर से होम स्टे की पूरी व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं। इस कड़ी में योजना का लाभ कुछ लोगों को व्यक्तिगत स्तर पर मिलने की जगह पूरे गांव को दिलाने के उद्देश्य से हर गांव में स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा रहा है, साथ ही नये पर्यटन सत्र यानी अगले वर्ष मार्च-अप्रैल से इस योजना के लिए ‘ऑनलाइन बुकिंग’ की व्यवस्था भी की जा रही है। केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल ने बताया कि इस हेतु निगम की वेबसाइट को भी नये स्वरूप में अपडेट किया जा रहा है। इसके अपडेट हो जाने के बाद होम स्टे के लिए बुकिंग कराते ही बुकिंग की जानकारी संबंधित पर्यटक के साथ ही क्षेत्र के निगम के प्रबंधक एवं संबंधित गांव में होम स्टे का प्रबंधन करने वाले स्वयं सहायता समूह को ऑटोमैटिक एसएमएस के माध्यम से मिल जाएगी। साथ ही आगे यात्रियों के गांव में पहुंचने की जानकारी भी एसएमएस से मिलती रहेगी।

उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड द्वारा दिल्ली के राजपथ पर 2018 में 69वें गणतंत्र दिवस पर उत्तराखंड के होम-स्टे/ग्रामीण पर्यटन की झांकी प्रस्तुत की गयी, जबकि इससे पूर्व 2016 में रम्माण की झांकी, 2015 में `केदारनाथ`, 2014 में `जड़ी-बूटी`, 2010 में `कुंभ मेला`, 2009 में `साहसिक पर्यटन`, 2007 में `कार्बेट नेशनल पार्क`, 2006 में `फूलों की घाटी`, 2005 में `नंदा राजजात` और 2003 में `फृलदेई` को राजपथ पर दिखाया गया था।

सीमांत क्षेत्रों में पलायन रोकने में कारगर है होम स्टे योजना
नैनीताल। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र पलायन की बहुत बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। यह समस्या राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए दोहरी परेशानी वाली है। यदि सीमांत के गांव पलायन से खाली होते हैं, तो वहां दुश्मन देश की हरकतें सेना को पता चलने में भी समय लग सकता है। ऐसे में केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्याल की योजना सीमांत के सभी ‘ट्रेकिंग रूट्स’ के गांवों को होम स्टे योजना से जोड़ने की है। उन्होंने बताया कि ऐसे करीब कैलाश यात्रा मांग के बुदी, गुंजी, दारमा घाटी के दातू, दुग्तू, नागलिंग व बालिंग सहित करीब एक दर्जन गांव इस योजना से जोड़ दिये गये हैं। इन गांवों में होम स्टे के लिए प्रयुक्त घरों को अलग एक समान नीले रंग से रंगने के साथ ही उनमें अच्छे बिस्तर, शौचालय, क्रॉकरी, बर्तन व खाद्यान्न की सुविधाएं और योजना में लगे लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इस योजना के बाद ग्रामीणों को घर पर ही वर्ष में लाखों रुपये का रोजगार मिलने लगा है। इससे उन्हें पलायन करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।

सीमांत की ‘रंङ’(रं) लोक संस्कृति में रमे देश भर से आये कैलाश यात्री

  • कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री धीराज गर्ब्याल की अभिनव पहल है ‘होम-स्टे’ योजना
  • इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर उत्तराखंड की झांकी के रूप में भी बढ़ा चुकी है राज्य का मान

कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक श्री धिराज गर्ब्याल की अभिनव पहल है ‘होम-स्टे’ योजना इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर उत्तराखंड की झांकी के रूप में भी राज्य का मान बढ़ा चुकी है। योजना के तहत कैलाश मानसरोवर यात्रा का पहला दल सीमांत क्षेत्र के ग्राम नाबी पहुंचा, तो सीमांत की ‘रंङ’ (रं) लोक संस्कृति में रमकर एकाकार हो गया। गांव की पारंपरिक परिधानों में सजी महिलाओं ने तीर्थ यात्रियों का तिलक लगाकर स्वागत किया, सांफा बांधा और उन्हें परंपरागत नमकीन चाय पिलाई, और मीठे चावल खिलाए। साथ ही अपने लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत कर उनका मनोरंजन करने के साथ लोक संस्कृति की झलक भी पेश की। इस पर तीर्थयात्री इतने प्रसन्न हुए कि वहीं के परंपरागत वस्त्र पहने और फोटो खिंचवाए।

केएमवीएन के प्रबंध निदेशक श्री धीराज गर्ब्याल

कुमाऊं मंडल विकास निगम लिमिटेड की ‘होम-स्टे’ योजना के प्रणेता, निगम के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल इन पलों पर कहते हैं, ‘जब कैलाश मानसरोवर व आदि कैलाश यात्रा के यात्रीगण होमस्टे के लिए नाबी गाँव पहुँचते हैं तो गाँव का वातावरण किसी उत्सव से कम नहीं होता। पारंपरिक परिधानों में गाँव के युवक-युवतियाँ व साथ में बच्चे ढोल नगाड़ों संग गाँव की सीमा में पहुँचकर यात्रियों का गर्मजोशी के साथ स्वागत करते हैं। गांव पहुँचकर फिर दौर शुरू होता है अपनी संस्कृति, खान-पान व पारंपरिक वेशभूषा से आगन्तुकों के परिचय का। सही मायने में नाबी गाँव देश के कोने-कोने में ‘रंङ’ संस्कृति के प्रचार प्रसार, स्वावलंबन व पलायन को रोकने के साथ ही देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने की दिशा में मील का पत्थर सिद्ध हो रहा है।

क्रिकेटर उन्मुक्त व फिल्मकार कापड़ी ने सराही केएमवीएन की होमस्टे योजना

नैनीताल। अंडर-19 विश्व कप में देश की क्रिकेट टीम की कप्तानी करने वाले युवा क्रिकेटर उन्मुक्त चंद और फिल्मकार विनोद कापड़ी ने बीते तीन दिन कुमाऊं मंडल विकास निगम द्वारा पंचाचूली बेस कैंप के गांवों में संचालित ‘होम-स्टे योजना’ का अनुभव लेने के बाद इस पहल की मुक्त कंठ से सराहना की है। मंगलवार को निगम के सूखाताल स्थित पर्यटक आवास गृह में उन्मुक्त ने कहा कि यह योजना अपनी मंशा के अनुरूप 5 स्टार होटलों से दूर शांति तलाश रहे सैलानियों के लिए वरदान है। इससे उन्हें ग्रामीण जनजीवन और प्रकृति से सीधे जुड़ने का तो लाभ मिलता ही है, वहीं ग्रामीणों को भी घर पर अच्छा रोजगार प्राप्त हो रहा है। इससे देश के सीमांत गांवों से पलायन रुकने और सीमाओं पर ग्रामीणों की रक्षापंक्ति के बने रहने का भी लाभ है। वहीं ‘मिस टनकपुर हाजिर हो’ जैसी चर्चित बॉलीवुड फिल्म के निर्देशक व पूर्व पत्रकार विनोद कापड़ी ने कहा कि उन्होंने पंचाचूली बेस कैंप जैसी लोकेशन आज तक नहीं देखी थीं। वे कोशिश करेंगे कि फिल्म यूनिट को यहां लाकर इस अनछुवी खूबसूरती को सुनहरे परदे पर ले जाएं। इस अवसर पर केएमवीएन के जीएम त्रिलोक सिंह मर्तोलिया व कबाड़खाना के चर्चित ब्लॉगर अशोक पांडे व करुणा अधिकारी आदि लोग मौजूद रहे।

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अब इंडिया-ए टीम में प्रवेश के लिए प्रयास करेंगे उन्मुक्त
नैनीताल। अंडर-19 विश्व कप में देश की क्रिकेट टीम की कप्तानी करने के बावजूद भारतीय टीम में स्थान बनाने के लिए तरस रहे प्रतिभावान क्रिकेटर उन्मुक्त चंद आईपीएल में भी नहीं खेल रहे हैं। अलबत्ता उन्होंने कहा कि आईपीएल के खत्म होते ही वे अभ्यास में जुट जाएंगे। उनका लक्ष्य इंडिया-ए टीम में स्थान बनाना है।

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-इस वर्ष गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर उत्तराखंड की झांकी में भी शामिल हो चुकी है योजना

राष्ट्रीय सहारा, 29 मार्च 2018

-पलायन की समस्या का भी निकला समाधान, देश की सीमाओं की सुरक्षा में भी दिया जा रहा है योगदान
नवीन जोशी, नैनीताल। कुमाऊं मंडल के सीमांत गांवों में विशिष्ट हरे रंग से रंगे घर केएमवीएन यानी कुमाऊं मंडल विकास निगम के तत्वावधान में चलाई जा रही प्रदेश सरकार की ‘होम स्टे’ योजना में शामिल होने के साथ ही खुशहाली का भी प्रतीक बन गए हैं। इन घरों से अब पलायन की बुरी तरह से मार झेल रहे इन गांवों के ग्रामीणों को घर पर रोजगार के रूप में पलायन का तोड़ भी मिल गया है, वहीं इन घरों के जरिये शहरी चकाचौंध से दूर भागकर शांति की तलाश में निकल रहे सैलानियों को भी मानो उनका अभीष्ट मिल रहा है। साथ ही इस तरह वे अनजाने में भी देश के इन सीमांत गांवों में स्वयं पहुंचकर और वहां के ग्रामीणों को वहीं रुकने का लाभप्रद उद्देश्य प्रदान कर देश की सीमाओं की सुरक्षा में अपना योगदान भी दे पा रहे हैं। इसलिए यदि आप भी बिना फ़ौज में गए देश की सीमाओं की सुरक्षा में अपना योगदान देना चाहते हैं तो यहाँ जरूर जाएँ। कोई समस्या आये तो केएमवीएन से मदद लें।

नाबी गाँव, जहां मिलेगी ‘होम स्टे’ की सुविधा

इस बहुआयामी व महत्वाकांक्षी योजना के प्रणेता केएमवीएन के एमडी धीराज गर्ब्यांल बताते हैं कि योजना के तहत सैलानी अब कुमाऊं मंडल के चीन-तिब्बत सीमा से लगे प्राकृतिक सुंदरता से लबरेज हिमालय की गोद में बसे दारमा व ब्यांस घाटियों में जाकर वहां के गांवों में ग्रामीणों के साथ उनके घरों में रहकर न केवल वहां के जनजीवन का अनुभव व रोमांच ले पाएंगे। वरन इन सीमांत गांवों के ग्रामीणों की आर्थिकी में वृद्धि कर उनके समक्ष रोजगार के अभाव में खड़ी पलायन व बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर पाएंगे, जिससे अन्ततः यहां के ग्रामीण पलायन करने को मजबूर नहीं होंगे, और देश की सीमाओं पर सेना में रहे बिना भी मानव दीवार के रूप में सीमा के सशक्त प्रहरी की भूमिका का निर्वाह करते रहेंगे, और इसमें इन गांवों में जाने वाले सैलानियों का भी योगदान होगा। योजना के तहत सैलानी इन गांवों में आकर ग्रामीणों के साथ उनके घरों में सीमांत क्षेत्र की संस्कृति से जुड़ते हुए रहकर, उनके द्वारा ही तैयार परंपरागत व्यंजन व भोजन आदि का अनुभव ले पाएंगे, साथ ही योजना का पूरा लाभ केवल ग्रामीणों को मिलेगा, केएमवीएन की योजना केवल सहयोगी की रहेगी।

सीमान्त गांवों में होम स्टे के लिए तैयार घर

ग्रामीणों को आतिथ्य के प्रशिक्षण के साथ ही बिस्तर, बर्तन भी उपलब्ध कराये
नैनीताल। योजना को शुरू करने के लिए केएमवीएन के द्वारा गांवों के खंडहर में तब्दील होने जा रहे घरों की बाकायदा स्थानीय तरीके से ही मरम्मत कराई गयी है, और इन्हें पहचान के लिए अगल हरा रंग दिया गया है। साथ कुटी के के करीब 50 तथा दान्तू, दुग्तू, बालिंग व नागलिंग नाम के गांवों के करीब 50 से 75 परिवारों को निगम अच्छे बेड, बिस्तर, क्रॉकरी आदि सामग्री देकर तथा उनके घरों की साफ-सफाई, पुताई आदि कराने के साथ ही उनकी मार्केटिंग कर होम स्टे योजना से जोड़े हुए हैं। है। साथ ही साफ शौचालय व सौर ऊर्जा के जरिये प्रकाश की व्यवस्था भी की गयी है। आगे निगम का लक्ष्य पिंडारी, सुंदरढूंगा, नामिक व पंचाचूली आदि सभी ट्रेकिंग मार्गों के साथा ही दारमा घाटी के नाबी, सेला, चल, फिलम व सीपू में भी इस योजना का विस्तार करीब 250 गांवों में बढ़ाने जा रहा है। आगे ग्रामीणों को नेपाल एवं अल्मोड़ा में चल रही होम स्टे योजनाओं का भ्रमण-प्रशिक्षण कराने तथा आगे कैलाश व आदि कैलाश यात्राओं के यात्रियों को इन गांवों में ‘होम स्टे’ कराकर स्थानीय माहौल से ‘अभ्यस्त’ कराने की भी योजना है।

80 फीसद तक हो चुका है सीमांत क्षेत्र में पलायन
नैनीताल। देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिये दुःखद स्थिति है कि तिब्बत-चीन सीमा के इन गांवों में 70 से 80 फीसद तक पलायन हो चुका है। उदाहरण के लिये कभी 400 से 500 परिवारों के गांव रहे गर्ब्यांग गांव में अब 70-80 परिवार ही बचे हैं। नौकरी-रोजगार के लिये बाहर गये करीब इतने ही अन्य परिवार वर्ष में एकाध बार पूजा-पाठ के लिये गांव आ पाते हैं। ऐसे में उनके घर वर्ष भर खाली पड़े रहते हैं। होम-स्टे योजना से इन खाली पड़े घरों की भी देखभाल हो पायेगी, और वे ग्रामीणों के लिये लाभकारी साबित होंगे।

यह भी पढ़ें : अब हर कोई दे सकेगा देश की सीमाओं की सुरक्षा में योगदान

    • -चीन सीमा पर स्थित कुटी गांव की सफलता के बाद अब केएमवीएन शुरू करने जा रहा है दार्मा और ब्यांस घाटियों में भी ‘होम स्टे’ की सुविधा
    • -ग्रामीणों के साथ घर पर रहकर सैलानी अनुभव कर सकेंगे वहां के जनजीवन का रोमांच
  • -सीमांत क्षेत्रों में पर्यटन विस्तार के साथ ग्रामीणों का पलायन रोककर सीमाओं को सशक्त करने में भी होगी बड़ी भूमिका
New Doc 2017-04-25_1
राष्ट्रीय सहारा, 25 अप्रैल 2017, देहरादून संस्करण।

नवीन जोशी, नैनीताल। क्या हम बिना भारतीय सेना में शामिल हुए देश की सीमाओं की रक्षा और सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं ? शायद इस प्रश्न का उत्तर हम ‘नां’ में दें, किंतु कुमाऊं मंडल विकास निगम इस प्रश्न का उत्तर हमारे मुंह से ‘हां’ में देने का प्रबंध करने जा रहा है। निगम के एमडी धीराज गर्ब्यांल अपनी महत्वाकांक्षी ‘सीमांत गांवों की होम स्टे’ योजना के तहत यह प्रबंध करने जा रहे हैं, जिसके तहत सैलानी अब कुमाऊं मंडल के तिब्बत सीमा से लगे प्राकृतिक सुंंदरता से लबरेज हिमालय की गोद में सजी दारमा व ब्यांस घाटियों में जाकर वहां के गांवों में ग्रामीणों के साथ उनके घरों में रहकर न केवल वहां के जनजीवन का अनुभव व रोमांच ले पाएंगे। वरन इन सीमांत गांवों के ग्रामीणों की आर्थिकी में वृद्धि कर उनके समक्ष रोजगार के अभाव में खड़ी पलायन व बेरोजगारी की समस्या का समाधान कर पाएंगे, जिससे अन्तत: यहां के ग्रामीण पलायन करने को मजबूर नहीं होंगे, और देश की सीमाओं पर सेना में रहे बिना भी मानव दीवार के रूप में सीमा के सशक्त प्रहरी की भूमिका का निर्वाह करते रहेंगे, और इसमें इन गांवों में जाने वाले सैलानियों का भी योगदान होगा।

उल्लेखनीय है कि केएमवीएन ने पूर्व में निगम के एमडी धीराज गर्ब्यांल की अगुवाई में देश के कैलाश-मानसरोवर यात्रा के समानांतर चलने वाली आदि कैलाश यात्रा के मार्ग पर चीन-तिब्बत सीमा सीमा से लगे ब्यांस घाटी के कुटी गांव में दो वर्ष पूर्व सामुदायिक सहभागिता पर आधारित होम-स्टे की यह योजना शुरू की थी, जिसमें इस यात्रा पर पिछले दो वर्षों में गये 300 व 278 यानी कुल 578 यात्री आते व जाते हुए रुके, जिससे उन्हें घर पर ही रोजगार प्राप्त हुआ। योजना की सफलता से उत्साहित निगम अब इसी यात्रा मार्ग पर दारमा घाटी के नाबी, सेला, चल, नागलिंग, बालिंग, दुग्तू, दातू, फिलम व सीपू गांवों में इस योजना को लागू करने जा रही है। अच्छी बात यह है कि इन गांवों के पास तक सड़क भी पहुंच चुकी है।

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श्री गर्ब्यांल ने बताया कि इन सभी गांवों के 10 से 15 परिवारों के समूहों यानी करीब 100 परिवारों को निगम धारचूला में सैलानियों के आतिथ्य सत्कार का प्रशिक्षण देने जा रहा है। इन परिवारों से अपेक्षा होगी कि वे अपने घरों के यथा संभव एक-दो कक्ष सैलानियों के लिये साफ-सुथरा करके रखें। आगे आदि कैलाश यात्रा पर जाने वाले और अन्यथा भी यहां आने वाले सैलानी इन गांवों में आकर ग्रामीणों के साथ उनके घरों में सीमांत क्षेत्र की संस्कृति से जुड़ते हुए रहकर, उनके द्वारा ही तैयार परंपरागत व्यंजन व भोजन आदि का अनुभव ले पाएंगे। खास बात यह भी कि सैलानियों से मिलने वाली पूरी धनराशि ग्रामीणों को ही मिलेगी। श्री गर्ब्यांल ने कहा कि निगम का दायित्व पर्यटन विस्तार के साथ स्थानीय लोगों के उन्नयन का भी है। निगम को यह लाभ जरूर होगा कि उसके द्वारा अपने स्तर से शुरू की जा रही प्राकृतिक ‘ॐ पर्वत’ के दर्शन कराने वाली आदि कैलाश यात्रा के मार्ग पर इस तरह यात्रियों को रात्रि विश्राम की सुविधा मिल पायेगी। बताया कि अब तक करीब 300 यात्रियों की आदि कैलाश यात्रा के लिये बुकिंग हो चुकी हैं, जिनके जाते व लौटते इन गांवों में 600 होम-स्टे प्राप्त हो जाएंगे। आगे यह संख्या एक हजार होने की उम्मीद है।

होम स्टे के जरिये देश की सीमाओं की सुरक्षा में योगदान देने का आह्वान

-अब साहसिक पर्यटन-होम स्टे पर रहेगा केएमवीएन का फोकस
-कुटी व नाभी के बाद चार गांवों- दान्तू, दुग्तू, बालिंग व नागलिंग तथा आगे 250 परिवारों को योजना से जोड़ने की है योजना

राष्ट्रीय सहारा, 15 सितंबर 2017।

नैनीताल। प्रदेश के कुमाऊं मंडल में पर्यटकों को पर्यटन से संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराने वाली संस्था कुमाऊं मंडल विकास निगम यानी केएमवीएन राष्ट्रीय महत्व की कैलास मानसरोवर यात्रा के सकुशल संपादन के उपरांत अब साहसिक पर्यटन तथा इसमें भी होम स्टे योजना पर फोकस करने जा रही है। निगम होम स्टे योजना के लिये देश भर के सैलानियों से इस तरह की भावनात्मक अपील भी करने जा रहा है कि लोग सीमांत क्षेत्रों में होम स्टे के लिये यहां आकर बिना सेना में गए देश की सीमाओं की सुरक्षा में योगदान दे सकते हैं। निगम की होम स्टे की इस पहल को सराहा भी जा रहा है। कैलास मानसरोवर यात्रा के दौरान मालपा व मांगती में आपदा आने के दौरान आखिरी दलों के यात्रियों को सीमांत क्षेत्र के कुटी व नाभी गांवों में मिल रही होम स्टे योजना से रूबरू होने का मौका मिला, जिसे उन्होंने काफी सराहा और अगले वर्ष से हर यात्री दल को यात्रा के दौरान कम से कम दो गांवों में रहने की सुविधा शामिल करने की भी मांग की। इस पर निगम ने इस संबंध में यात्रा के आयोजक भारतीय विदेश मंत्रालय से इस संबंध में अनुमति लेने की बात कही।
केएमवीएन के प्रबंध निदेशक धीराज गर्ब्याल ने बृहस्पतिवार को बताया कि निगम अभी पिथौरागढ़ जनपद के कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सीमांत कुटी व नाभी गांवों में होम-स्टे की योजना चला रहा है। इन गांवों में करीब 50 परिवारों को निगम अच्छे बेड, बिस्तर, क्रॉकरी आदि सामग्री देकर तथा उनके घरों की साफ-सफाई, पुताई आदि कराने के साथ ही उनकी मार्केटिंग कर होम स्टे योजना से जोड़े हुए हैं। आगे अन्य चार गांवों दान्तू, दुग्तू, बालिंग व नागलिंग नाम के गांवों के करीब 50 से 75 गांवों को इस योजना से जोड़ा जा रहा है। जबकि निगम का लक्ष्य आगे पिंडारी, सुंदरढूंगा व नामिक, पंचाचूली आदि सभी ट्रेकिंग मार्गों में भी इस योजना का विस्तार करीब 250 गांवों में करने का है। इस क्षेत्र से आत्मिक लगाव रखने वाले श्री गर्ब्याल कहते हैं कि सड़क के करीब के गांवों को इस योजना से जोड़ना आसान है, परंतु सीमांत के गांवों को योजना से जोड़ने का लाभ यह है कि वहां के लोगों को यदि घर पर ही रोजगार प्राप्त होगा तो वे पलायन को मजबूर नहीं होंगे, और अपने गांवों में ही रहेंगे, और इससे सीमांत क्षेत्र में देश की आबादी की मौजूदगी सुरक्षा दीवार के रूप में मौजूद रहेगी। योजना को उत्तराखंड सरकार की ‘अभिनय प्रयोग योजना’ के तौर पर भी देखा जा रहा है।

New Doc 2017-04-25_2
राष्ट्रीय सहारा, 26 अप्रैल 2017।

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