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March 19, 2024

Internet News : अब आम लोग भी पुलिस की तरह कर सकेंगे नियमविरुद्ध चलने वाले वाहनों के चालान…

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-उत्तराखंड पुलिए एप में घर बैठे मिलेंगी इसके साथ ही कई अन्य सुविधाएं
Uttarakhand Police App 2022 कौन कौन सी सुविधाएं उपलब्ध है इस ऐप पर जानो,  पूरी जानकारी हिंदी में - YouTubeनवीन समाचार, नैनीताल, 5 दिसंबर 2022। (Internet News) अब तक पुलिस ही नियमविरुद्ध चलने वाले वाहनों का चालान करती है। लेकिन कई बार ऐसी स्थितियां आती हैं, जब आम लोग चाहते हैं कि कोई वाहन यातायात नियमों को इतनी बुरी तरह से तोड़ रहे हैं कि उनका चालान होना चाहिए। लेकिन वहां पुलिस कर्मी मौजूद नहीं होते, जिनसे चालान करवाया जाए। लेकिन अब आम लोग भी चाहें तो ऐसे किसी वाहन का चालान कर सकते हैं। यह भी पढ़ें : कारोबारी युवती से उसके कारोबारी पार्टनर व उसके सगे भाई सहित तीन लोगों ने किया सामूहिक दुष्कर्म…

बारिश का अलर्ट: एसएसपी नैनीताल पंकज भट्ट ने की जनता से अपील – Haldwani  Express Newsयह सुविधा उत्तराखंड पुलिस के एप पर उपलब्ध कराई गई है। नैनीताल जनपद के एसएसपी पंकज भट्ट ने बताया कि प्ले स्टोर पर उपलब्ध ‘उत्तराखंड पुलिस एप’ को डाउनलोड करके आम लोग कई तरह की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। इनमें एक ‘ट्रेफिक आई’ ऐप है। यदि आपको कहीं कोई दोपहिया वाहन तीन सवारी के साथ या असुरक्षित तरीके से फर्राटा भरते या कोई वाहन सड़क पर यातायात को अवरुद्ध करता नजर आता है, तो आप इसी ऐप से उसका फोटो या वीडियो बनाकर और उसका विवरण लिखकर भेज सकते हैं। पुलिस आपकी फोटो-वीडियो व शिकायत का परीक्षण कर उसका ई-चालान कर देगी। यह भी पढ़ें : जिलाधिकारी ने 13 विभागों को जारी किए 9 करोड़ 94 लाख रुपए से अधिक, जानें क्यों और किन्हें

Uttarakhand Police App - Google Play তে অ্যাপइसके अलावा उत्तराखंड पुलिस एप में सबसे नीचे ‘एसओएस’ के नाम से एक लाल रंग का बटन दिया गया है, इसे पैनिक बटन भी कहा जाता है। यदि किसी महिला को कहीं अपने साथ कोई छेड़छाड़ या अनहोनी होने की आशंका लगती है तो वह चुपचाप इस बटन को दबा सकती है। इसे दबाते ही पुलिस मुख्यालय को सूचना चली जाएगी और संबंधित क्षेत्र की पुलिस महिला की लोकेशन ट्रेक कर उसे तत्काल परेशानी से निजात दिलाएगी। एसएसपी भट्ट ने बताया कि इस बारे में जागरूकता फैलाने के काफी प्रयास किए जा रहे हैं। यह भी पढ़ें : घर में 10 दिन बाद थी बेटी की शादी, मां उसके दहेज के लिए रखे जेवरात लेकर प्रेमी संग हुई फरार, एक वर्ष पूर्व हुआ है पति का निधन..

उन्होंने बताया कि इसके अलावा इस एप में महिलाओं को समर्पित गौरा शक्ति एप भी जुड़ा है। जिसमें महिलाएं खुद को पंजीकृत कर हर तरह की शिकायतें कर सकती हैं, और अपने कानूनी अधिकारों की जानकारी प्राप्त कर सकती हैं। इसके अलावा उत्तराखंड पुलिस ऐप में मौजूद ई-एफआईआर एप से लोग घर बैठे पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं, जबकि ई-कंप्लेन्ट एप से अपनी शिकायतें दर्ज करा सकते हैं। यह भी पढ़ें : एक और विद्यालय की हल्द्वानी की तरह कॉलेज के बाहर छात्र पर चाकू से हमला, गर्लफ्रेंड को लेकर हुआ विवाद !

साथ ही इस ऐप में ई-चालानों को घर बैठे भुगतान करने, किरायेदारों व कर्मचारियों का सत्यापन करने, साइबर अपराधों व संपत्तियों के खोने की की शिकायत करने, अपनी शिकायतों की जानकारी प्राप्त करने, पुलिस विभाग के जरूरी मोबाइल नंबर प्राप्त करने, नशा मुक्त उत्तराखंड, विभिन्न जनपदों की पुलिस की गतिविधियों, उनकी सोशल मीडिया पर कवरेज आदि की जानकारी भी प्राप्त की जा सकती है। (डॉ.नवीन जोशी) आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : (Internet News) जानिए अपने यूनिवर्स से आगे भविष्य की दुनिया मेटावर्स के बारे में, यहां हैं, घूमने, खेलने, मनोरंजन करने से लेकर बड़ी कमाई करने के भी मौके…

Metaverse (मेटावर्स ) क्या है और कैसा होगा in Hindi -  bharatinvestingerabykaushal.inडॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 30 जनवरी 2022। फेसबुक का नया नाम मेटा हो जाने के बाद से इंटरनेट पर मेटावर्स शब्द काफी चर्चा में है। यदि आप इंटरनेट पर सक्रिय हैं तो आपके लिए मेटावर्स के बारे में जानना जरूरी है, क्योंकि मेटावर्स अपने आप में एक अलग व भविष्य की दुनिया है। यह कैसी होगी, आइये इसके बारे में जानते हैं।

मेटावर्स को भविष्य की दुनिया, भविष्य का इंटरनेट भी कहा जा रहा है। फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने भी कहा कि उनकी कंपनी इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही है, जो जल्द ही सबके सामने होगी। दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने भी हाल ही में कहा है कि वह Activision Blizzard को 69 बिलियन डॉलर में खरीदेगा, जिससे मेटावर्स में विस्तार किया जा सके।

वास्तव में मेटावर्स एक वर्चुअल यानी आभासीय या काल्पनिक दुनिया है। आज के दौर में लोग समस्त भौतिक सुविधाएं प्राप्त कर लेने के बाद उससे आगे आभाषी दुनिया में आगे बढ़ना चाह रहे हैं। जिस तरह बिट कॉइस जैसी आभासी मुद्रा क्रिप्टो करेंसी भी चलन में है। उसी तरह मनुष्य मेटावर्स के जरिए अपना खुद का वर्चुअल अवतार यानी आभाषी स्वरूप तैयार करता है, और उसके माध्यम से ऐसे कार्य कर सकता है जो वह भौतिक रूप से यानी अपने शरीर से नहीं कर सकता।

इस तरह मेटावर्स एक ऐसा ऑनलाइन स्पेस यानी स्थान है, जहां कोई भी व्यक्ति एआर यानी ऑगमेंटेड रियलिटी या वीआर यानी वर्चुअल रियलिटी हेडसेट की मदद से अपना खुद का अवतार या स्वरूप बनाते हैं, और इसके जरिए आभाषीय तौर पर अपने दोस्त बनाकर एक अलग समाज स्थापित कर सकते हैं, और उनके साथ खेल भी सकते हैं। साथ ही दुनिया में कहीं भी दूसरे लोगों से मिल सकते हैं, और वे सभी काम वर्चुअली कर सकते हैं, जो वह अपनी असल जिंदगी में करते हैं, या करना चाहते हैं। वह आभाषीय तौर पर कहीं भी आ और जा भी सकते हैं, दोस्तों के साथ डांस कर सकते है, पहाड़ों पर जा सकते हैं, और फिल्में देख सकते हैं। यही नहीं अपनी डिजिटल संपत्ति भी कमा सकते हैं और ऑनलाइन घर बना सकते हैं, तथा अपने दोस्तों के साथ मनोरंजन भी कर सकते हैं।

गौरतलब है कि मेटावर्स का आइडिया यानी विचार और यह शब्द इतना नया भी नहीं है। अमेरिकी लेखक नील स्टीफेन्सन ने पहली बार 1992 में अपनी किताब स्नो क्रैश में मेटावर्स शब्द का इस्तेमाल वर्चुअल रियलिटी की दुनिया के लिए किया था।

अलबत्ता अभी यह देखना बाकी है कि भविष्य में इस तरह के कितने मेटावर्स यानी आभाषीष दुनिया होंगी। क्योंकि अभी मेटावर्स के लिए कोई मानक मौजूद नहीं है। बहुत सी कंपनियां अपने-अपने मेटावर्स बनाने के लिए काम कर रही हैं। अभी फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, सोनी, एपिक गेम्स और छोटी कंपनियों का एक समूह सबसे पहले इस दुनिया पर राज करने की कोशिश में लगा है। यह भी कहा जा रहा है कि अधिकांश कंपनियां एक ही मेटावर्स बनाएंगी जिसमें अन्य कंपनियां भी शामिल हो सकेंगी।

बताया जा रहा है कि कपड़ों और जूतों के कई दिग्गज ब्रांड भी मेटावर्स की दुनिया में प्रवेश करने पर विचार कर रहे हैं। ऐसा लगता है जल्द ही मेटावर्स की दुनिया में वर्चुअल दुकानें भी होंगी, जिसमें लोग वस्तुओं को एनएफटी (नॉन फंगिबल टोकन) की मदद से मेटावर्स पर खरीद भी सकेंगे।

आगे हम आपको मेटावर्स में एनएफटी यानी नॉन फंगिबल टोकन के बारे में बताएंगे, जिसमें हैं बड़ी कमाई के मौके…. इस नए विकल्प का आप भी फायदा उठा सकते हैं। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : (Internet News) नैनीताल जनपद में भी स्वीकृत हुआ इंटरनेट एक्सचेंज…

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नैनीताल, 1 नवंबर 2021। देहरादून के बाद नैनीताल जनपद में भी इंटरनेट एक्सचेंज स्थापित किया जाएगा। सूचना विभाग की ओर प्रेस को जारी बयान में राज्य सभा सासंद व भाजपा के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने कहा है कि उन्होंने केंद्रीय आईटी राज्य मंत्री को उत्तराखंड के सभी जनपदों में इंटरनेट एक्सचेंज खोलने का प्रस्ताव दिया था।

उनके इस प्रस्ताव पर केंद्रीय आईटी राज्य मंत्री ने सहमति दी थी और अब इसी क्रम में जनपद नैनीताल में इंटरनेट एक्सचेंज की स्वीकृति मिल गई है। अलबत्ता, अभी यह तय नहीं है कि यह कहां स्थापित होगा।

उन्होंने बताया कि आगे प्रदेश के सभी जिलों में इंटरनेट एक्सचेंज खोलने का प्रयास रहेगा। जिससे पर्वतीय एवं दूरदराज के गांवों में भी इंटरनेट सुविधा मिल सकेगी। उन्होने बताया कि इंटरनेट एक्सचंेज खुलने से जनपद में इंटरनेट की गति बढेगी, साथ ही इंटरनेट का मजबूत ढांचा स्थापित होगा।

इसे दुर्गम क्षेत्रों में भी आसानी से इंटरनेट की उपलब्धता होगी और जनपद में ऑनलाईन पढाई, ‘वर्क फ्रॉम होम’ से जुडे नौजवानों, विद्यार्थियों व सरकारी, गैर सरकारी विभागों, संस्थानों को ऑनलाईन कार्य करने में सुविधा होगी। इंटरनेट की गुणवत्ता में सुधार होने से राज्य में कॉल सेंटर्स और बीपीओ संस्थानों को संभावना बढ जाएगी और राज्य के नौजवानों के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। आज के अन्य ताजा ‘नवीन समाचार’ पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।

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यह भी पढ़ें : बिग ब्रेकिंग : (Internet News) सोशल-डिजिटल मीडिया-ओटीटी प्लेटफार्म के लिए सरकार ने जारी किए दिशा-निर्देश..

डॉ. नवीन जोशी @ नवीन समाचार, नई दिल्ली, 25 फरवरी 2021 केंद्र सरकार सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म को लेकर नई गाइडलाइन जारी कर रही है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जहां सोशल मीडिया पर सरकार की गाइडलाइन के बारे में बताया वहीं केंद्रीय सूचना तथा प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने OTT प्लेटफॉर्म से जुड़ी नई व्यवस्था के बारे में बताया।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया पर गलत चीजें परोसी जा रही है। सोशल मीडिया कंपनियों का स्वागत है, वो आएं और यहां बिजनेस करें, लेकिन गलत काम नहीं करने देंगे। हिंसा के लिए सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। फेक न्यूज परोसी जा रही है। यही कारण है कि सरकार को यह गाइडलाइन तैयार करना पड़ी है। सोशल मीडिया को लेकर बहुत शिकायतें आ रही हैं। लड़के और लड़कियों के ऐसे फोटो दिखाए जा रहे हैं, जिन्हें हमारा समाज स्वीकार नहीं कर सकता है। सरकार ने इसके लिए एक कानून बनाया है जो तीन महीने में लागू हो जाएगा।

प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि ओटीटी प्लेटफॉर्म के कंटेंट को लेकर सैकड़ों शिकायतें रोज आ रही हैं। संसद में सवाल पूछे जा रहे हैं। यही कारण है कि सरकार ने इस दिशा में नियम लेकर सामने आना पड़ा है। OTT को बताना होगा कि वे किस तरह से जानकार को प्रसारित कर रहे हैं। सरकार रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं बना रही है, लेकिन OTT पर काम करने वालों को यह जानकारी देना होगी। सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ कम्पलायंस अफसर की तैनाती करना होगी। सरकार को मंथली कम्पलायंस रिपोर्ट देना होगी। महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट 24 घंटे में हटाना होगी। कोई आपत्तिजनक पोस्ट सबसे पहले कहां से आई है, यह बताता होगा।

शिकायतों के निपटारे के लिए व्यवस्था बनाना होगी। यदि प्लेटफॉर्म पर कोई आपत्तिजनक पोस्ट या सामग्री है तो उसे हटाना होगी। यदि सोशल मीडिया कंपनी किसी यूजर की पोस्ट हटाती है या उसे बैन करती है तो यूजर को इसका कारण बताना होगा। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सोशल मीडिया कंपनियों का बिज़नेस के लिए भारत में स्वागत है, सरकार आलोचना का स्वागत करती है पर सोशल मीडिया यूज़र्स को भी एक फ़ोरम मिलना चाहिए ताकि इसके गलत इस्तेमाल की शिकायतों का निपटारा टाइम बाउंड तरीके से करने के लिए ये कंपनियां बाध्य हों।

भारत सरकार के मुताबिक देश में इस वक़्त व्हॉट्सऐप यूजर्स – 53 करोड़, यूट्यूब यूजर्स – 44.8 करोड़, फेसबुक यूजर्स – 41 करोड़, ट्विटर यूजर्स – 1.75 करोड़, और इंस्टाग्राम यूजर्स – 21 करोड़ हैं।

यह भी पढ़ें : एक्सक्लूसिव: उत्तराखंड के 5991 गांवों में हाई स्पीड इंटरनेट के केंद्र सरकार ने स्वीकृत किये 2000 करोड़

नवीन समाचार, देहरादून, 11 जुलाई 2020। उत्तराखंड में हर गांव तक हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए भारत नेट फेज-2 योजना को केंद्र सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इस योजना के तहत राज्य के हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जनपदों के 65 ब्लॉक की 5991 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुंचाया जाएगा। बताया गया है कि हरिद्वार जनपद में इस योजना पर पूर्व में कार्य किया जा चुका है।

केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए करीब 2000 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उम्मीद जताई है कि इस स्वीकृति से प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुंचने से दूरसंचार में एक नई क्रांति आएगीं राज्य में विकास के एक नए युग का आरंभ होगा तथा ग्रामीण अंचलों की अर्थ व्यवस्था को भी गति मिलेगी। उन्होंने इस अति महत्वपूर्ण योजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी एवं दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद का आभार जताया है।

यह भी पढ़ें : उम्मीद करिये अब नहीं छूटेगी कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण आपके बच्चों की ऑनलाइन क्लास, मंडलायुक्त ने कसे अधिकारियों व दूरसंचार कंपनियों के पेंच

-कनेक्टिविटी बढ़ाने व बेहतर करने के लिए आपस में टावर शेयरिंग तथा अन्य उपाय करने को कहा
-कंपनियो की जिलेवार समस्याओं के समाधान के लिए भी बनाई व्यवस्था
नवीन समाचार, नैनीताल, 1 जुलाई 2020। कोरोना संक्रमण के कारण विद्यालयों के बंद होने की स्थिति में छात्र-छात्राओं के लिए ऑनलाइन पढ़ाई पर बल दिया जा रहा है। किंतु ऑनलाइन पढ़ाई में दूरसंचार कंपनियों की ओर की आ रही कनेक्टिविटी एवं नेटवर्क की समस्याओं के दृष्टिगत कुमाऊॅ आयुक्त अरविंद सिंह ह्यांकी ने बुधवार को दूरसंचार कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस मौके पर उन्होंने दूरसंचार कंपनियों से उच्च गुणवत्तायुक्त नेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने को कहा, ताकि ऑनलाइन अध्ययन के लिए बच्चों कोसमस्या न आये। यदि कभी तकनीकि कारणों से कनेक्टिविटी बाधित होती है तो उसका तत्काल निराकरण किया जाये।

उन्होंने निर्देश दिए कि संबंधित कम्पनियां अपने नेट कनेक्टिविटी वाले क्षेत्रों में हाई स्पीड डाटा उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें। वहीं जिन क्षेत्रों में नेट की उपलब्धता नहीं है, उन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए तुरन्त कार्यवाही की जाये। उन्होंने मंडल के सभी जिलाधिकारियों को डिस्ट्रिक्ट टेलीकॉम कमेटी की बैठकें आयोजित करते हुए संचार कम्पनियों के स्थानीय स्तर के मुद्दों का तुरन्त समाधान करने के निर्देश भी दिए। इसके अलावा उन्होंने विभिन्न कारणों से ऑनलाइन शिक्षा से वंचित बच्चों की शिक्षा को सुचारू करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों को अन्य वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर भी कार्यवाही करने को कहा।

कहा कि जिन क्षेत्रों में नेटवर्क अपग्रेडेशन की आवश्यकता हैं, उन्हें शीघ्रता से अपग्रेड किया जाये और जिन क्षेत्रों में नेटवर्क स्थापित करने की आवश्यकता है, उन क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ नेटवर्क कम्पनी को चुना जाये। उन्होंने बीएसएनएल सहित सभी कम्पनियों को नियमानुसार व आवश्यकतानुसार टॉवर शेयरिंग करने के निर्देश भी दिए। साथ ही उन्होंने कम्पनियों के प्रतिनिधियों से कहा कि वे अपनी समस्याओं को जिलेवार लिखित में दें, ताकि उनका समय से समाधान कराया जा सके। बैठक में डीएम सविन बंसल, निदेशक उच्च शिक्षा डॉ. कुमकुम रौतेला, उप निदेशक तकनीकी शिक्षा एसके वर्मा, प्रधानाचार्य सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज डा.सीपी भैसोड़ा, अपर निदेशक माध्यमिक शिक्षा डा. मुकुल सती, अपर निदेशक बेसिक शिक्षा आरएल आर्य, मंडलीय अभियंता बीएसएनएल एलएम तिवारी, जेटीओ भाष्कर तथा हेमंत अरोरा, वीरेन्द्र मौर्य, राजीव कुमार आदि , दूर संचार कम्पनियों के प्रतिनिधि मौजूद रहो।

यह भी पढ़ें : व्हाट्सएप में अब नया फीचर, पोस्ट्स हो सकेंगी डिलीट..

नवीन समाचार, नई दिल्ली, 27 नवंबर 2019। व्हाट्सएप यूजर्स के लिए नया ऐंड्रॉयड बीटा अपडेट लेकर आया है। इस अपडेट के आने के बाद यूजर अब मेसेजेस को ऑटोमैटिकली डिलीट भी कर सकेंगे और उसके डिलीट होने का समय भी सेट कर सकेंगे। कुछ दिन पहले भी इस फीचर के बारे में खबरें आई थीं लेकिन उनमें इस फीचर को Dissapearing Message फीचर बताया गया था।

टेस्ट हो रहा फीचर
वॉट्सऐप के नए ऐंड्रॉयड बीटा अपडेट में इस फीचर का नाम बदलकर Delete Messages कर दिया गया है। इस फीचर को अभी यूजर इस्तेमाल नहीं कर सकते क्योंकि यह अभी भी टेस्टिंग फेज में है। वॉट्सऐप अपडेट को ट्रैक करने वाली वेबसाइट WABetaInfo ने इस फीचर के स्क्रीनशॉट्स को भी शेयर किया है। लेटेस्ट बीटा अपडेट में यह फीचर डार्क मोड के साथ भी देखा जा सकता है।

ऐडमिन कर सकते हैं इनेबल
नया बीटा अपडेट वॉट्सऐप वर्जन नंबर 2.19.348 से रोलआउट किया जा रहा है। इस अपडेट को गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। यह फीचर कॉन्टैक्ट इन्फो या ग्रुप सेटिंग में दिया गया है और इसे केवल ऐडमिन इनेबल कर सकते हैं। हालांकि, जैसा कि हमने पहले बताया यह फीचर अभी डिवेलपिंग फेज में है इसलिए इसे लेटेस्ट बीटा अपडेट को डाउनलोड करने के बाद भी यूजर्स देख नहीं सकते।

सेट कर सकते हैं मेसेज डिलीट होने का समय
डिलीट मेसेज फीचर से यूजर्स किसी मेसेज के ऑटोमैटिकली डिलीट होने के समय को सेट कर सकते हैं। मेसेज को खुद से डिलीट होने के लिए यूजर्स को 1 घंटे, 1 दिन, 1 हफ्ते, 1 महीने और 1 साल का ऑप्शन मिलता है जिसे वे अपने हिसाब से सेट कर सकते हैं। इस अपडेट का स्टेबल वर्जन आने पर इस फीचर में कुछ और बदलाव देखे जा सकते हैं। यह फीचर डार्क मोड के साथ भी काम करेगा। बता दें कि डिलीट मेसेज फीचर की तरह डार्क मोड फीचर भी टेस्टिंग के दौर से गुजर रहा है।

यह भी पढ़ें : देश मे अब बिना सिम के भी हो सकेगी बात

  • देश की पहली इंटरनेट टेलीफोन सेवा हुई शुरू, 25 जुलाई से 1099 के वार्षिक शुल्क पर मिलेगी यह सेवा
  • दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने खास ऐप-विंग्स का किया शुभारंभ, सेवा के तहत किसी भी कंपनी के नेटवर्क पर काल कर सकेंगे यूजर्स

नई दिल्ली, 11 जुलाई 2018 (भाषा)। सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल ने बुधवार को देश की पहली इंटरनेट टेलीफोन सेवा पेश करने की घोषणा की। कंपनी की इस सेवा का लाभ 25 जुलाई से यूजर्स को मिलने लगेगा। इससे कंपनी के उपयोक्ताओं को विंग्स मोबाइल ऐप से देशभर में किसी भी टेलीफोन नंबर पर काल करने की सुविधा मिलेगी। इसके लिए उपयोक्ता को 1,099 रपए का वार्षिक शुल्क देना होगा। उसके बाद वह बीएसएनएल या किसी अन्य कंपनी के वाई-फाई से देशभर में असीमित काल कर सकेंगे।

अभी देश में मोबाइल ऐप पर कॉल करने की सुविधा किसी विशिष्ट ऐप के जरिये आपस में ही कर सकते हैं, लेकिन अब ऐप से किसी भी टेलीफोन नंबर पर काल किया जा सकने की सुविधा पहली बार उपलब्ध होगी। इस सेवा का शुभारंभ करते हुए दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा, ‘‘मौजूदा प्रतिस्पर्धी परिवेश में बीएसएनएल का बाजार में हिस्सेदारी बढ़ाना एक सराहनीय कार्य है। इंटरनेट टेलीफोन सेवा शुरू करने के लिए मैं बीएसएनएल के प्रबंधन को बधाई देता है। यह सेवा उपयोक्ताओं को बिना सिम के काल करने की सुविधा देगी।’कंपनी के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक अनुपम श्रीवास्तव ने कहा कि इसके लिए पंजीकरण एक – दो दिन में शुरू हो जाएगा।

व्हाट्सएप लाया नया फीचर, अब पता चलेगा कि खबर Original है या Forwarded

11 जुलाई 2018। फेसबुक के स्वामित्व वाले वाट्सऐप ने आज ‘Forward Message Indicator’ सेवा की शुरुआत की है। इस सेवा से अब किसी भी उपयोक्ता को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि उसे प्राप्त हुआ संदेश वास्तविक है या किसी और के संदेश को उसे आगे भेजा (फॉरवर्ड) गया है। कंपनी ने ऐसा भारत में झूठी खबरों, अफवाह फैलने और गलत जानकारी से उपयोक्ताओं को बचाने के लिए किया है। व्हाट्सएप के संदेश को यहां भी पढ़ सकते हैं।

उल्लेखनीय है कि कंपनी देश में भड़काऊ संदेश और अफवाहें फैलने को लेकर विवादों में घिरी है। इसके लिए उसने आज देशभर के प्रमुख अखबारों में पूरे पेज के विज्ञापन भी दिए हैं। इन विज्ञापन में वाट्सऐप ने कहा है, ‘हम एक साथ मिलकर गलत जानकारी की समस्या को दूर कर सकते हैं. इसके लिए प्रौद्योगिकी कंपनियों, सरकार और सामुदायिक संगठनों को मिलकर काम करना होगा। अगर आपको कुछ ऐसा दिखाई देता है जो आपको लगता है कि सच नहीं है तो कृपया उसकी रिपोर्ट करें।’ इस विज्ञापन में वाट्सऐप ने उपयोक्ताओं से अनुरोध किया है कि वे अग्रेषित किए गए संदेशों से सावधान रहें, परेशान करने वाली जानकारी पर खुद से सवाल उठाएं, जिस जानकारी पर यकीन करना मुश्किल हो उसकी जांच करें, संदेशों में मौजूद फोटो या वीडियो को ध्यान से देखें, लिंक की जांच करें और संदेशों को सोच समझकर साझा करें।

कंपनी ने एक वैश्विक विज्ञप्ति में जानकारी दी कि वाट्सऐप पर अब उपयोक्ता को यह पता चल जाएगा कि कौन-से संदेश उसे अग्रेषित (फॉरवर्ड) किये गये हैं। इससे उपयोक्ताओं को एक-दूसरे के साथ और वाट्सऐप समूहों में बातचीत करने में सरलता होगी। इस सुविधा से उपयोक्ता को यह भी पता चलेगा कि उसके मित्र या रिश्तेदार द्वारा भेजा गया संदेश उन्होंने ही लिखा है या कहीं और से आया है। इस सुविधा को प्राप्त करने के लिए उपयोक्ता को फोन में वाट्सऐप का नवीनतम संस्करण रखना होगा।

कंपनी ने कहा, ‘वाट्सऐप आपकी सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित है। हम आपको अग्रेषित किए गए संदेशों को साझा करने से पहले एक बार सोचने की सलाह देते हैं। इसे आगे भेजने से बचने के लिए आप एक टच से स्पैम (गलत संदेश) की रिपोर्ट कर सकते हैं या उस संपर्क को ब्लॉक कर सकते हैं।’ देश के कई इलाकों में वाट्सऐप पर प्रसारित ‘बच्चा चोरी’ की झूठी खबरों, अफवाहों की वजह से भीड़ के पीट-पीट कर लोगों को जान से मार देने की कई हालिया घटनाएं हुई हैं।

इस संबंध में पिछले हफ्ते सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने वाट्सऐप से ज्यादा जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के लिए कहा था। साथ ही कहा था कि सरकार इस मामले में मंच के फर्जी खबर फैलाने के लिए उपयोग किए जाने को सहन नहीं करेगी।

यह भी पढ़ें : जल्द 5जी सेवा देने की तैयारी में है रिलायंस जियो

देश में 5जी सेवाओं के विस्तार के लिए रिलायंस जियो ने तैयारी शुरू कर दी है। जियो की इस नई योजना को आगे बढ़ाने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ‘ओपन टेलीकॉम प्लेटफॉर्म सॉल्यूशंस’ में ग्लोबल लीडर मानी जाने वाली अमेरिका की दूरसंचार समाधान कंपनी रैडिसिस की पूरी हिस्सेदारी खरीद कर इसका अधिग्रहण करने का समझौता किया है। इस समझौते का मकसद जियो को भविष्य में 5जी और ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ यानी आईओटी जैसी सुविधाओं के लिए तैयार करना है।

दोनों कंपनियों ने एक संयुक्त बयान में इस करार की जानकारी दी है। सूत्रों के अनुसार यह सौदा पूरी तरह नकदी में होगा। करीब 7.4 करोड़ डॉलर में सौदा होने की संभावना है। शेयर बाजार को दी गई जानकारी के अनुसार रैडिसिस में 100 फीसदी हिस्सेदारी 1.72 डॉलर प्रति शेयर की दर से खरीदी जाएगी। रिलायंस जियो के निदेशक और मुकेश अंबानी के बड़े पुत्र आकाश अंबानी ने इस डील पर कहा है कि इस अधिग्रहण से रिलायंस जियो को 5जी और आईओटी में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी। वहीं रिलायंस इंडस्ट्री की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार इस डील के लिए अब नियामक मंजूरी का इंतजार किया जा रहा है और 2018 की चौथी तिमाही तक इसके पूरा होने की उम्मीद है। रिलायंस जियो की ओर से कहा गया है कि इस डील से मैनेजमेंट और इंजिनियरिंग टीम मजबूत होगी और अन्वेषण में मदद मिलेगी। वहीं रैडिसिस की ओर से कहा गया है कि कंपनी की टीम स्वतंत्र तरीके से काम करती रहेगी।

2018 में ही लॉन्च हो सकती 5जी सर्विस

जियो 2018 में ही 5जी सर्विस लॉन्च कर सकती है। उल्लेखनीय है कि बार्सिलोना में आयोजित हुए मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में रिलायंस जियो ने इसकी घोषणा की थी। रिलायंस जियो ने इसके लिए प्रमुख मोबाइल निर्माता कंपनी सैमसंग के साथ 5जी सर्विस के लिए करार भी किया था। अब रैडिसिस के साथ करार से साफ है कि वह तेजी से 5जी सर्विस पर काम करना चाहती है।

भारत में 25 फीसद वयस्क ही करते हैं इंटरनेट का प्रयोग : प्यू सर्वे

सैन फ्रांसिस्को, 21 जून 2018 (आईएएनएस)। डिजिटल इंडिया को लेकर जोर आजमाइश के बावजूद 2017 में देश में केवल एक चौथाई लोगों ने इंटरनेट का प्रयोग किया। प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ। अध्ययन में पता चला कि भारत दुनिया में सबसे कम इंटरनेट उपयोग करने वाले देशों में से एक है। 37 देशों की सूची में दक्षिण कोरिया पहले स्थान पर है। दक्षिण कोरिया में 96 फीसदी वयस्कों ने इंटरनेट का प्रयोग किया। मंगलवार को जारी नतीजों के मुताबिक, दुनिया में ज्यादातर देश इंटरनेट का प्रयोग करते हैं, जबकि उप सहारा अफ्रीका व भारत के पास भी ऊंची दर हासिल करने के लिए बहुत कुछ है। भारत में वयस्कों के पास स्मार्टफोन रखने की दर 2013 में 12 फीसदी थी जो 2017 में बढ़कर 22 फीसदी हो गई, जबकि इस अवधि के दौरान सोशल मीडिया का प्रयोग आठ से बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंच गया। इसका मतलब, भारत में 78 फीसदी व्यस्कों के पास स्मार्टफोन नहीं है और देश की अधिकांश 80 फीसदी आबादी को फेसबुक और ट्विटर की कोई जानकारी नहीं है।इंटरनेट की पहुंच दर इंटरनेट उपयोग या फिर स्मार्टफोन रखने वाले लोगों द्वारा मापी जाती है, जो उत्तरी अमेरिका और यूरोप के अधिकांश हिस्सों के साथ-साथ एशिया-प्रशांत के कुछ हिस्सों में भी अधिक रहती है। वहीं ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड, स्वीडन, कनाडा, अमेरिका, इजराइल, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और स्पेन में लगभग नौ से 10 फीसदी लोग ही इंटरनेट का उपयोग करते हैं।क्षेत्रीय रूप से उप-सहारा अफ्रीका दुनिया के सबसे कम इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के मामले में से एक है।

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रिलायंस जियो को बार्सिलोना में आयोजित मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस में 2018 का प्रतिष्ठित ग्लोबल मोबाइल (GLOMO) अवॉर्ड मिला है। इस खुशी को कंपनी ने अपने ‘प्राइम’ ग्राहकों के साथ साझा करते हुए ‘वैश्विक मंच पर इतनी ऊंचाई तक पहुंचाने के लिए धन्यवाद देते हुए’ उन्हें 10GB फ्री डेटा देने का ऐलान किया है। फ्री डेटा से ग्राहक Jio TV app इस्तेमाल कर सकते हैं। 10GB डेटा का गिफ्ट मिला या नहीं, रिलायंस जियो ऐप के MY Plans में जाकर चेक कर सकते हैं। चूंकि यह डेटा ऐड ऑन पैक पूरी तरह ऑटोमैटेड है, इसलिए कुछ यूजर्स को तो अपने आप डेटा मिल गया है, लेकिन जिन्हें नहीं मिला है वे टोल फ्री नंबर 1299 पर मिस्ड कॉल करके प्राप्त कर सकते हैं। 10 जीबी डेटा सीमित समय के लिए वैलिड है।

अब एक घंटे बाद भी डिलीट कर सकेंगे व्हाट्सएप मैसेज, जानिए कैसे..

व्हाट्सएप के उपयोगकर्ता अब एंड्रॉयड या फिर आईओएस पर ग्रुप चैट या पर्सनल मैसेज पर भेजे गए मैसेज को एक घंटे से भी अधिक समय (4,096 सेकंड यानी लगभग 68 मिनट 16 सेकंड) के बाद डिलीट कर सकते हैं। अभी तक यूजर्स को मैसेज को केवल 7 मिनट के अंदर ही डिलीट कर सकते थे। अब व्हाट्सएप ने ‘डिलीट फॉर एवरीवन’ फीचर को अपडेट कर दिया है।

WABetaInfo के मुताबिक, यह नया अपडेट अभी व्हाट्सएप v2.18.69 बीटा वर्जन पर ही उपलब्ध है। हालांकि, आम उपयोगकर्ता को इस अपडेट के लिए अभी कुछ दिन इंतजार करना होगा। व्हाट्सएप पर इसके अलावा वाइस मैसेज लॉकिंग और स्टीकर पैक साइज डिस्प्ले का भी जल्द ही अपडेट आने वाला है।

बहुत कारगर होगा यह फीचर, इस पर संशय बरकरार

नेक्स्ट वेब की रिपोर्ट के अनुसार व्हाट्सएप का डिलीट फॉर एवरीवन फीचर हर स्थिति में कारगर नहीं है। अगर आपके डिलीट करने से पहले कोई आपके मैसेज को कोट कर दे तो डिलीट होने के बाद भी आपको मैसेज दिखेगा। व्हाट्सएप FAQ में यह कहीं नहीं बताया गया है की व्हाट्सएप के इस फीचर का कोट के मामले में किस तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।

कैसे करता है काम

व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओंको गलती से भेजे गए मैसेज को सात मिनट के अंदर डिलीट करने की अनुमति देता है। उपयोगकर्ता इसका इस्तेमाल मैसेज के ड्राप डाउन आइकन पर टैप कर के डिलीट फॉर एवरीवन सेलेक्ट कर के कर सकते हैं। हालांकि, अगर इन 7 मिनटों में उस मैसेज को कोट कर दिया गया है तो असल मैसेज तो गायब हो जाएगा, लेकिन डिलीटेड मैसेज कोट किए गए टेक्स्ट में फिर भी दिखाई देगा। यहां कोट का मतलब किसी एक मैसेज को रिप्लाई करने से है।

आसान शदों में समझाया जाए तो, अगर आप किसी के द्वारा मैसेज डिलीट करने से पहले उसके मैसेज का रिप्लाई करते हैं तो कोट किया गया मैसेज डिलीट होने के बाद भी दिखेगा। इसको और बेहतर तरीके से समझने के लिए नीचे स्क्रीनशॉट दिया गया है:

यह रिपोर्ट तब सामने आई जब शोधकर्ताओं में व्हाट्सएप के डिलीट मैसेज फीचर में अन्य कमियां पाई। स्पेनिश टेक ब्लॉग ने इसी फीचर की एक कमी यह भी बताई थी की एंड्रॉयड नोटिफिकेशन हिस्ट्री से डिलीट किए मैसेज को रिकवर किया जा सकता है।

20 करोड़ से अधिक हैं मासिक इंडियन एक्टिव यूजर्स –

पूरी दुनिया में व्हाट्सएप के 1.5 अरब मासिक उपयोगकर्ता हैं, जिसमें 20 करोड़ से अधिक मासिक एक्टिव यूजर्स भारत के हैं। व्हाट्सएप के 1.5 अरब यूजर्स एक दिन में करीब 60 अरब मैसेज एक-दूसरे को भेजते हैं। फेसबुक ने 19 फरवरी 2014 को 19 अरब डॉलर में व्हाट्सएप का अधिग्रहण किया था।

दिसम्बर तक 48.1 करोड़ हुए इंटरनेट यूजर, 4जी कवरेज में भी अव्वल पर स्पीड में पाक-श्रीलंका से भी फिसड्डी

पूरी दुनिया में 4जी इंटरनेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ने के साथ भारत भी 4जी इंटरनेट कवरेज के लिहाज से दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है, किंतु 4जी की गति के मामले में बहुत पीछे है। ‘ओपनसिग्नल’ की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्तमान में 86.3 फीसद क्षेत्रफल में 4जी इंटरनेट की कवरेज है, और इस क्षेत्र में भारत दुनिया के देशों में शामिल हो गया है। लेकिन इंटरनेट की गति के मामले में भारत 88 देशों में काफी पीछे है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि 2017 में भारत में 4जी इंटरनेट की औसत गति 6.07 एमबीपीएस रही है। जबकि भारत के अन्य दृष्टिकोणों से काफी पीछे माने जाने वाले पड़ोसी पाकिस्तान में 4जी की औसत स्पीड 13.56 एमबीपीएस और श्री लंका में 13.95 एमबीपीएस और दुनिया भर में औसत गति 16.9 एमबीपीएस है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया का कोई भी देश अभी तक 50 एमबीपीएस की औसत 4जी स्पीड तक नहीं पहुंच सका है। रिपोर्ट के अनुसार, 4जी इंटरनेट गति के मामले में इस समय सिंगापुर 44.31 एमबीपीएस के साथ सबसे ऊपर है, तथा शीष्र 5 देशों में सिंगापुर के बाद नीदरलैंड, नॉर्वे, साउथ कोरिया और हंगरी हैं। साथ ही पूरी दुनिया में 30 देश ऐसे हैं जिनमें 80 फीसद से ज्यादा 4जी इंटरनेट कवरेज है। हाल में इस लिस्ट में थाईलैंड, बेल्जियम, लाटविया, फिनलैंड, उरुग्वे, डेनमार्क जैसे देश भी शामिल हुए हैं।

दिसम्बर 2017 तक भारत में 48.1 करोड़ हुए इंटरनेट उपयोगकर्ता

आईएमएआई व आईएमआरबी के आंकलन में जून 2017 तक भारत में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 45 करोड़ होने का दावा किया गया था, जबकि विश्वसनीय मानी जाने वाली ‘वर्ल्ड इंटरनेट स्टैट्स’ की रिपोर्ट के अनुसार जून 2017 तक भारत में इंटरनेट प्रयोगक्ताओं की संख्या 462,124,989 यानी 46.2 करोड़ से ज्यादा हो गई। इस रिपोर्ट के अनुसार चीन में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या 738,539,792 और भारत में 462,124,989 है।
वहीं, इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या दिसम्बर 2017 में में 48.1 करोड़ थी, और इसके जून 2018 तक बढ़कर 50 करोड़ के पार पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत के शहरी इलाकों में 64.84 फीसद आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करती है और उनकी संख्या जून तक बढ़कर 30 करोड़ 40 लाख पर पहुंच जाएगी। वहीं ग्रामीण आबादी में 60.60 फीसद इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं और दिसम्बर, 2017 के 18 करोड़ 60 लाख से यह संख्या बढ़कर जून तक 19 करोड़ 50 लाख पर पहुंच जाएगी। रिपोर्ट में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के विश्लेषण में बताया गया है कि शहरों में लोग इंटरनेट का ज्यादा इस्तेमाल आनलाइन संचार जैसे ईमेल आदि के लिए, जबकि गांवों में सर्वाधिक इस्तेमाल मनोरंजन के लिए किया जाता है। गांवों में 58 फीसद इंटरनेट उपयोगकर्ता इसका इस्तेमाल मनोरंजन के लिए, 56 फीसद आनलाइन संचार के लिए, 49 फीसद सोशल नेटवर्किंग के लिए, 35 फीसद आनलाइन सेवाओं के लिए और 16 फीसद आनलाइन वित्तीय लेनदेन के लिए करते हैं। जबकि शहरों में 86 फीसद उपयोगकर्ता आनलाइन संचार के लिए, 85 फीसद मनोरंजन, 70 फीसद सोशल नेटवर्किंग, 44 फीसद वित्तीय लेनदेन और 35 फीसद आनलाइन सेवाओं के लिए इंटरनेट का उपयोग करते हैं। वहीं स्मार्टफोन-मोबाइल पर इंटरनेट इस्तेमाल के मामले में गांव और शहरों का स्तर लगभग एक समान है। ग्रामीण इलाकों में 87 फीसद और शहरी इलाकों में 86 फीसद उपयोगकर्ता मोबाइल या स्मार्टफोन पर इंटरनेट चलाते हैं। बड़े तथा छोटे शहरों में इंटरनेट इस्तेमाल के मामले में भी काफी विसंगति है। शहरी इंटरनेट उपयोगकर्ताओं में 35 फीसद नौ बड़े महानगरों से हैं।

हालांकि केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 29 दिसंबर 2017 को लोकसभा में भारत में जून 2017 तक इंटरनेट का प्रयोग करने वालों की संख्या 43.12 करोड़ तथा केंद्रीय संचार मंत्री मनोज सिन्हा ने 5 दिसंबर 2017 को बेंगलुरू में समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार यह संख्या 46 करोड़ बताई है। जबकि दिसंबर 2016 में देश में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या 43.2 करोड़ थी। इनमें से 26.9 करोड़ प्रयोक्ता शहरी थे। शहरी इंटरनेट प्रयोक्ताओं का घनत्व 60 प्रतिशत रहा है, और इसमें स्थायित्व देखने को मिला है, जबकि ग्रामीण भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं का घनत्व केवल 17 प्रतिशत है, और यहां यानी गांवों में इंटरनेट के विकास व विस्तार की बड़ी संभावनाएं हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की वृद्धि मुख्य रूप से ग्रामीण इलाकों में ही हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में यदि ठीक से प्रयास किये जायें तो ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी 75 करोड़ प्रयोक्ताओं के शामिल होने की संभावना है। रपट में यह भी कहा गया है कि शहरी इंटरनेट प्रयोक्ताओं में से 13.72 करोड़ यानी 51 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों के लगभग 7.8 करोड़ यानी 48 प्रतिशत प्रयोक्ता दैनिक इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, और देश में डिजिटाइजेशन के बाद इंटरनेट लोगों की जरूरत बन गया है।

‘मेरानेट’ देगा हर रोज एक रुपए में अनलिमिटेड डाटा

इंटरनेट के उपयोग के लिए किफायती स्मार्टफोन और टैबलेट बनाने वाली कंपनी डाटाविंड ने हर रोज एक रुपए में अनलिमिटेड डाटा देने की सुविधा शीघ्र शुरू करने का दावा किया है। कंपनी के प्रमुख सुमित सिंह ने बताया कि फरवरी 2018 में ही कंपनी के नई प्रौद्योगिकी पर आधारित अपने पेटेंट एप ‘मेरानेट’ और देश की सबसे बड़े दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी बीएसएनएल के नेटवर्क के माध्यम से यह सुविधा देने की योजना है। यह ऐप इंटरनेट पर आने वाली फाइलों को बिना उसकी गुणवत्ता को प्रभावित किए ‘कंप्रेस्ड’ कर बहुत छोटा कर देता है। लिहाजा इसके उपयोग से इंटरनेट प्रयोक्ताओं का डाटा खर्च नहीं होगा, बल्कि मेरानेट का डाटा खर्च होगा। इसके लिए बीएसएनएल से थोक में डाटा के उपयोग का करार किया गया है। इसके उपयोग के लिए प्रयोक्ताओं से एक रुपए प्रतिदिन में एकमुश्त वार्षिक सबस्क्रिप्शन लेना होगा। इस हेतु बीएसएनएल से मेरानेट का करार हो गया है।

मेरानेट एप को यहाँ क्लिक करके डाउनलोड कर सकते हैं। 
जियो का नया ऑफर, 200 फीसदी तक कैशबैक

रिलायंस जियो ने अपने ग्राहकों को एक और बड़ा ऑफर दिया है। इसके तहत कंपनी 398 या इससे अधिक के रिचार्ज पर 200 फीसदी तक कैशबैक का ऑफर दे रही है जोकि 799 रुपये तक हो सकता है। यह ऑफर 15 फरवरी तक वैलिड है। कैशबैक के दो हिस्से हैं। 398 या इससे अधिक के प्लान रिचार्ज पर जियो 400 रुपये मूल्य का कैशबैक वाउचर देगा। ग्राहकों को 50 रुपये मूल्य के 8 वाउचर दिए जाएंगे। इन वाउचर्स का उपयोग अगले रिचार्ज के समय कर सकते हैं। यानी अगले 8 रिचार्ज पर आपको 50 रुपये कम देने होंगे।

परीक्षाओं में प्रश्नपत्रों की होगी छुट्टी !

देश में स्कूलों से लेकर कॉलेजों और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कागज पर छपे प्रश्न पत्रों का प्रयोग जल्द ही भूतकाल की बात हो सकती है। कागज की बर्बादी रोकने की पहल के तहत प्रश्नपत्र को मोबाइल पर लाने की तैयारी है। नोएडा स्थित एमजीएम कॉलेज ने एक ऑनलाइन क्वेश्चन पेपर डिस्ट्रिब्यूशन एप विकसित किया है, और इस पर केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने रुचि दिखाई है। इसमें किसी तरह की धोखाधड़ी या नकल न किये जाने के सुरक्षा प्रबंध भी मौजूद हैं। इसमें यह प्रबंध है कि परीक्षा के दौरान इस ऐप के शुरू होते ही मोबाइल के अन्य सभी तरह के फीचर व ऐप कार्य करना बंद कर देंगे। यानी मोबाइल से किसी तरह की नकल नहीं की जा सकेगी। इसे पेटेंट कराने के प्रयास किये जा रहे हैं।

सामने आया दुनिया का पहला मुड़ने वाला स्मार्ट फोन, घड़ी की तरह हाथ पर बांध भी सकेंगे

कनाडा के विशेषज्ञों ने मुड़ने वाला स्मार्टफोन बनाने का दावा किया। हाई रिजोल्यूशन वाले स्मार्टफोन को ‘रिफ्लेक्स’ नाम दिया गया है। इस मोबाइल में इंस्टाल एप आम स्मार्टफोन से अलग अनुभव देंगे। क्वींस यूनिवर्सिटी के ह्यूमैन मीडिया लैब के निदेश रोएल वर्टेगल ने बताया कि उनकी टीम द्वारा विकसित स्मार्टफोनएप का इस्तेमाल करने पर वाइब्रेशन के साथ किताब के पन्ने पलटने जैसा और गेम्स खेलने के दौरान वास्तविकता जैसा विशेष आभास कराएगा। एलजी डिस्प्ले के साथ नए रिफ्लेक्स फोन की ओएलईडी टच स्क्रीन का रिजोल्यूशन 720पी है। यह एंड्रॉयड 4.4 किटकैट पर काम करेगा। मोड़ते वक्त लगने वाले बल के अनुसार यह मोबाइल फोन वाईब्रेशन के साथ प्रतिक्रिया भी देगा। स्मार्टफोन की यह नई तकनीक फिलहाल बाजार में उपलब्ध नहीं है, लेकिन निर्माता टीम को इसके शीघ्र लोकप्रिय होने की उम्मीद जता रहे हैं। इधर दक्षिण कोरिया के शोधकर्ता भी मुड़ने योग्य स्क्रीन युक्त इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक गुणों वाले स्मार्ट फोेन बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बिस्मत फेराइट तत्व में ऐसे गुण हैं, जिससे बने उत्पादों को मोड़ा और सीधा किया जा सकेगा। इसी आधार पर दक्षिण कोरिया की कंपनियां हाथ में कलाई घड़ी की तरह बांधे जाने योग्य स्मार्ट फोन बनाने पर कार्य कर रही हैं।

नए मीडिया के आने से परंपरागत प्रिंट मीडिया के समक्ष बड़ी चुनौती

समय से अधिक तेजी से हो रहे मौजूदा बदलाव के दौर में परंपरागत या प्रिंट पत्रकारिता के करीब दो हजार वर्ष तक रहे एकाधिकार को 20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि, ‘ई-सूचना हाईवे’ के रूप में अस्तित्व में आये इंटरनेट के माध्यम से जुड़े साइबर मीडिया, साइबर जर्नलिज्म, ऑनलाइन जर्नलिज्म, इंटरनेट जर्नलिज्म, कम्प्यूटराइज्ड जर्नलिज्म, वेबसाइट पत्रकारिता व वेब पत्रकारिता सहित कई समानार्थी नामों से पुकारे जाने वाले ‘कलम रहित’ नये मीडिया और इसके प्रमुख घटक सोशल मीडिया ने पिछले करीब दो दशकों में बेहद कड़ी चुनौती दी है।

एक रिपोर्ट के अनुसार लंदन में वर्ष 2002 में ही ई-अखबारों यानी इंटरनेट पर उपलब्ध समाचार पत्रों ने प्रिंट पत्रकारिता के पारंपरिक माध्यम को चौथे स्थान पर विस्थापित कर दिया है। यही कारण है कि कई देशों में इस नये मीडिया माध्यम को अखबारों के लिये ‘नये शत्रु’ के रूप में बताया जा रहा है। अमेरिका में वाशिंगटन पोस्ट, न्ययार्क टाइम्स, वॉल स्ट्रीट जनरल, यूएसए टुडे जैसे राष्ट्रीय समाचार पत्रों के साथ ही फिलाडेल्फिया इनक्वायर, सेंट लुईस, पोस्ट डिस्पैच और डेली ओकसोहोमन जैसे क्षेत्रीय अखबार, सबके सामने अपने खुद के उपजाये इस नये शत्रु से निपटने का बड़ा प्रश्न खड़ा है। दूसरी ओर कोलम्बिया विश्वविद्यालय का प्राचीन पत्रकारिता संस्थान हो या मिसौरी विश्वविद्यालय का स्कूल ऑफ जर्नलिज्म, हर जगह इस बात की कोशिश हो रही है कि कैसे वेब पत्रकारिता को अधिक से अधिक कमाऊ बनाया जाये।

इधर ताजा खबर यह है कि 1972 में 70 लाख प्रतियों के प्रसार वाली अमेरिका ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध वयस्क पत्रिका-प्लेबॉय बिकने की कगार पर पहुंच गयी है। इसका कार्यालय प्लेबॉय मैंशन भी बिकाऊ घोषित कर दिया गया है। इसके प्रसार का आंकड़ा घटकर आठ तक सिमट गया है। इसकी वजह आज के दौर में इसके पाठकों की ऑनलाइन पॉर्न सामग्री तक आसान पहुंच हो गयी, जिसके परिणाम स्वरूप यह पत्रिका अपनी दूसरी इमेज गढ़ने की कोशिश भी कर रही है।

उधर फ्रांस के अखबारों पर भी वेब पत्रकारिता या नये मीडिया का काफी प्रभाव देखने को मिल रहा है। यहां वर्ष 1999 से वर्ष 2001 के बीच फ्रांसीसी अखबार उद्योग में यह बात सामने आयी कि वेबसाइटों का प्रसार अखबारों से ज्यादा रहा। यहां दैनिक समाचार पत्रों की अपेक्षा साइटों का प्रदर्शन 0.6 प्रतिशत अधिक रहा। ऐसी स्थितियों से बचने के लिये अमेरिका के अखबार ‘डिस्पैच’ ने स्वयं को नितांत स्थानीय शक्ल देने की कोशिश की। वहां सुदूर ग्रामीण इलाकों में भी लोगों के पास निजी कम्प्यूटर या टीवी कम्प्यूटर आम बात है, और लोगों को राष्ट्रीय खबरें पढ़ने के लिये अखबारों की जरूरत नहीं है, इसलिये डिस्पैच अखबार ने कोशिश की कि दूरस्थ क्षेत्रों के लोगों को उनकी आसपास की खबरों को अधिक से अधिक जुटाकर अखबार पढ़ने को मजबूर किया जाये।

भारत में भी अखबारों से आई अत्यधिक स्थानीयता इसी का प्रभाव नगर आती है। वहीं एक अध्ययन के अनुसार फ्रांस में लोग जितना समय समाचार पढ़ने में बिताते हैं, उससे तीन गुना समय वे इंटरनेट सर्फिंग, ई-मेल अथवा खरीददारी एवं बैंकिंग में खर्च करते हैं। शाम के समय तो यह आंकड़ा छह गुना तक हो जाता है। एक और भयावह आंकड़ा प्रकाश में आया कि 16 से 34 वर्ष के युवा अखबार देखने या पढ़ने से 15 गुना अधिक समय नेट पर बिताते हैं। यहां तक कि महिलायें भी पत्रिका पढ़ने से पांच गुना ज्यादा समय ऑनलाइन माध्यम पर बिताती हैं।

दुनिया को हिलाने वाले खुलासे करने वाले विकीलीक्स के साथ ही सोशल मीडिया और ब्लॉगों सरीखे अनेक स्वरूपों में प्रिंट मीडिया ही नहीं, इलेक्ट्रानिक मीडिया सहित पूरे परंपरागत मीडिया के समानांतर खड़े होकर वैकल्पिक मीडिया के रूप में उभरे नये मीडिया की इस चुनौती का परिणाम विश्व के विकसित देशों में साफ तौर पर दिखने लगा है। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के सदस्य राजीव रंजन नाग के अनुसार ‘वर्तमान में दुनिया में प्रतिदिन 2.7 करोड़ वेब पेज सर्च किये जा रहे हैं।

अमेरिका का युवा कागज पर छपा अखबार नहीं पढ़ रहा बल्कि वह अखबार की जगह नेट पर गूगल समाचार में एक ही जगह तमाम अखबारों की सुर्खियां देख ले रहा है। गूगल समाचार के कारण यूरोप और अमेरिका के अखबारों की संख्या और राजस्व दोनों गिर रहे हैं। अमेरिकी मीडिया अकादमिक प्रो. फिलिप ने अखबारों के पतन का उल्लेख करते हुये लिखा है कि अगर ऐसा ही रहा तो अप्रेल 2040 में अमेरिका में आखिरी अखबार छपेगा। अमेरिका का सर्वाधिक प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट बिक गया, जिसे अमेजन डॉट कॉम ने खरीद लिया। न्ययार्क टाइम्स भी कर्ज में डूब चुका है। साप्ताहिक पत्रिका न्यज वीक का प्रिंट संस्करण भी बंद हो चुका है, और वह अब केवल ऑनलाइन ही पढ़ी जा सकती है।’

वैश्वीकरण के युग में समस्यायें किसी एक स्थान पर नहीं सिमटी रहतीं। अमेरिका और यूरोपीय देशों से शुरू हुई समाचार पत्रों के घटते प्रसार की यह चिंता इधर एशिया तक पहुंच गयी है। दिसंबर 2009 में हैदराबाद में आयोजित हुये 16वें वर्ल्ड एडीटर्स फोरम और 62वें न्यज पेपर्स कांग्रेस सहित अनेक मंचों पर देश के साथ ही विश्व भर के समाचार पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों और मालिकों के बीच समाचार पत्रों की घटती लोकप्रियता बड़ी चिंता के कारण के रूप में दिखी। जहां मीडिया क्षेत्र के अनुभवी लोगों ने माना कि विश्व में भारत, चीन, ब्राजील, जापान और विएतनाम सहित कुछ देशों को छोड़कर अधिकतर देशों और विशेषकर अमेरिका और यूरोप में समाचार पत्रों का प्रसार और प्रभाव लगातार घट रहा है।

वर्ल्ड एडीटर्स फोरम में फोरम के अध्यक्ष जैवियर विडाल फोल्क ने हालांकि आशा बंधाई कि समाचार पत्रों का भविष्य अच्छा ही होगा, क्योंकि छपे हुए समाचार पत्र के बिना एक अच्छी पत्रकारिता की कल्पना नहीं की जा सकती है। लेकिन उन्होंने पिं्रट पत्रकारिता पर खतरे को रेखांकित करते हुये संहेह भी जताया कि ‘समाचार पत्र न हों तो पत्रकारिता ही खतरे में पड़ जाएगी।’ वहीं टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रधान संपादक जयदीप बोस ने समाचार पत्रों को बचाने के लिये पत्रकारिता के अंदाज को बदलने की आवश्यकता जताई। उन्होंने माना कि नई पीढ़ी के आने के नई तकनीक का उपयोग करते हुए समाचार पत्रों को नए पढ़ने वालों के लिए आकर्षक बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आज भारत में भले समाचार पत्रों को उन समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ रहा है जो अमेरिका और यूरोप में हैं, लेकिन उनका स्पष्ट कहना था कि हो सकता है 10 वर्षों में यहां भी वही स्थिति उत्पन हो जाए।

इधर भारत में पत्रकारिता के बेहतर भविष्य के पीछे यह तर्क भी दिया जा रहा है कि यहां जिस तरह जनसंख्या के साथ साक्षरता और लोगों की आमदनी बढ़ रही है, और साथ ही अंग्रेजी भाषा पढ़ने वालों की संख्या बढ़ रही है, उस हिसाब से सभी समाचार पत्रों की प्रसार संख्या भी जिस तरह बढ़ रही है, उसी तरह बढ़ती रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार दिलीप पड़गांवकर भी मानते हैं कि भले भारत में 19-20 वर्ष के युवा समाचार पत्र नहीं पढ़ते, लेकिन चूंकि भारत में जनसंख्या सहित हर चीज बढ़ रही है, इसलिये बढ़ती साक्षरता के साथ अगले 15 वर्षों में समाचार पत्र और फैलेंगे। अंग्रेजी से ज्यादा, भारत की प्रांतीय भाषाओं में समाचार पत्रों के प्रसार में और वृद्धि होगी। मलयालम दैनिक मध्यम के संपादक अब्दुल रहमान भी मानते हैं कि केरल में शत-प्रतिशत साक्षरता के बावजूद अभी इंटरनेट या टीवी का ज्यादा प्रभाव समाचार पत्रों पर नहीं पड़ा है, लेकिन पत्रिकाओं पर जरूर पड़ा है। अलबत्ता समाचार पत्रों को इंटरनेट की तुलना में टीवी न्यज चैनलों से ज्यादा खतरा है।

अलबत्ता, वर्ल्ड एडीटर्स फोरम में बांग्लादेश के स्टार न्यजपेपर के सीईओ और प्रकाशक महफूज अनाम की मानें तो अमेरिका में समाचार पत्रों की सबसे खराब हालत के लिये पिछले 40 वर्षों में समाचार पत्रों के प्रकाशकों द्वारा किये गये कुछ न किये जाने योग्य कार्यों को जिम्मेदार हैं। जबकि साउथ एशिया फ्री मीडिया एसोसिएशन के अध्यक्ष और ‘साउथ एशिया’ के संपादक इम्तियाज आलम के अनुसार पाकिस्तान में समाचार पत्रों का प्रसार पहले से ही कम है, क्योंकि वहाँ साक्षरता कम है। इस पर भी टीवी चैनलों ने रही-सही कसर तोड़ दी है, और नई पीढ़ी अधिकतर इन्टरनेट की और देख रही है। पहले ही खबर को टीवी-इंटरनेट पर देख चुके लोग अब 24 घंटे पुरानी खबर के लिए किसी समाचार पत्र का इंतजार नहीं करना चाहते हैं।

इस प्रकार हम देखते हैं कि वैश्विक स्थितियों को देखते हुये वर्तमान में यूरोप-अमेरिका की स्थितियों के विपरीत समाचार पत्रों के प्रसार में वृद्धि दर्ज करने के बावजूद मीडिया जगत इस विषय में आश्वस्त नहीं है। जबकि सामान्यतया भारत में समाचार पत्रों के भविष्य पर किसी भी तरह की नकारात्मकता की बात करना आज की तिथि में बेमानी सा ही लगता है।

किंतु दूसरी ओर नये मीडिया-सोशल मीडिया के लगातार वढ़ते जा रहे आंकड़े प्रिंट या परंपरागत पत्रकारिता पर खतरे का इशारा कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय सदस्यों की संख्या 3.3 करोड़ से अधिक हो गयी है। देश में अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान जहां सोशल मीडिया ने एक ‘मैसेंजर’ के रूप में लोगों को आपस में जोड़कर संगठित करने और देश-दुनिया में जोश और जुनून पैदाने में अहम भूमिका निभाई, वहीं आरुषि-हेमराज हत्याकांड, गीतिका-गोपाल कांडा कांड और दामिनी बलात्कार कांड में जहां नये मीडिया ने ‘इंसाफ की जंग’ लड़ने के हथियार के रूप में अपनी भूमिका निभाई, वहीं पिछले लोक सभा चुनावों में इसने ‘गेम चेंजर’ की भूमिका निभाई।

एक अध्ययन के अनुसार 2014 के लोकसभा चुनावों की घोषणा के बाद केवल फेसबुक पर 2.9 करोड़ लोगों ने 22.7 करोड़ बार चुनाव से संबंधित पारस्परिक क्रियायें (जैसे पोस्ट लाइक, कमेंट व शेयर इत्यादि) की। इसके अतिरिक्त 1.3 करोड़ लोगांे ने केवल नरेंद्र मोदी के बारे में फेसबुक पर बातचीत की। इससे 81.4 करोड़ योग्य मतदाताओं वाले देश भारत में सोशल मीडिया और नये मीडिया के प्रचार के व्यापक प्रभाव को समझा जा सकता है।

अतः इस प्रकार हम देखते हैं कि नये मीडिया और सोशल मीडिया को समाज के हर वर्ग ने अपनी स्वीकृति दी है, और नये मीडिया की यहीं सर्वस्वीकार्यता व उपयोगिता अन्य मीडिया माध्यमों, खासकर परंपरागत मीडिया के लिये एक गंभीर चुनौती के तौर पर उभरी है। खासकर भारत में जहां इंटरनेट का प्रयोग लगातार बढ़ता जा रहा है, और उसने इंटरनेट प्रयोक्ताओं के मामले में अभी हाल (दिसंबर 2015) में अमेरिका का पीछे कर नंबर दो पर पहुंच गया है।

जबकि आधिकारिक तौर पर उपलब्ध वर्ष 2014-15 के आंकड़ों के अनुसार भारत अपनी जनसंख्या में इंटरनेट प्रयोक्ताओं के प्रतिशत के लिहाज से चीन के 19.24 प्रतिशत के बाद 17.5 प्रतिशत हिस्से के साथ दूसरे चीन के बाद ही दूसरे स्थान पर था। गौरतलब है कि 2014-15 में उसकी इंटरनेट प्रयोक्ताओं के मामले में वार्षिक वृद्धि दर 19.5 प्रतिशत थी, और विश्व जनसंख्या में भारत के इंटरनेट प्रयोक्ताओं का हिस्सा 8.33 प्रतिशत के साथ तीसरा स्थान था, और वह अमेरिका (9.58 प्रतिशत) से थोड़ा पीछे था।

इन आंकड़ों को देखते हुये ही बड़े मीडिया हाउसों की रणनीतिकार भी नये-सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर अपनी व्यापारिक और पेशेवर रणनीतियों में बदलाव करने को मजबूर हुये हैं। लघु शोध-प्रबंध में भारत में समाचार पत्रों एवं इंटरनेट आधारित नये मीडिया के प्रसार के आंकड़ों एवं जनता की नये मीडिया के प्रति रुचि आदि का अध्ययन करते हुये प्रिंट पत्रकारिता के भविष्य को जानने का प्रयास किया गया है।

दुनिया में हर सातवें व्यक्ति के चहेते बन एक अरब क्लब में शामिल हुये ह्वाट्सऐप और जी-मेल, फेसबुक डेढ़ अरब से ऊपर

मोबाइल मैसेजिंग ऐप-ह्वाट्सऐप द्वारा गत दो फरवरी 2016 को अपने ब्लॉग पोस्ट के जरिये घोषणा की कि उसने पिछले पांच माह में 10 करोड़ नये उपभोक्ताओं को जोड़कर वैश्विक स्तर पर एक अरब उपयोगकर्ताओं का आंकड़ा छू लिया है। यानी धरती पर हर सात में से एक व्यक्ति ह्वाट्सऐप का प्रयोग कर रहा है। ह्वाट्सऐप के सह संस्थापक जान कोउम ने कहा कि इस प्लेटफॉर्म पर हर दिन 42 अरब संदेश, 1.6 अरब फोटो और 25 करोड़ वीडियो साझा किये जाते हैं।

ज्ञात हो कि फरवरी 2014 में ह्वाट्सऐप का फेसबुक ने अपने इतिहास में सबसे अधिक 19 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर लिया था। इसके अलावा दो फरवरी को ही गूगल की जी-मेल सुविधा देने वाली सह कंपनी अल्फाबेट के लिये गूगल के भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचाई ने घोषणा की कि उसने अक्टूबर-दिसंबर 2015 की तिमाही में एक अरब उपयोगकर्ताओं के क्लब में जगह बना ली है। उल्लेखनीय है कि गूगल सर्च, यूट्यूब, गूगल क्रोम, एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम, गूगल मैप्स, फेसबुक और एप्पल भी पहले से एक अरब के क्लब में शामिल है।

एक फरवरी 2016 को घोषित परिणामों के अनुसार एल्फाबेट का राजस्व एप्पल से अधिक हो गया है। वर्ष 2015 की आखिरी तिमाही में फेसबुक के प्रयोक्ताओं की संख्या में 4.6 करोड़ की वृद्धि हुई है, और यह वर्ष 2015 के आखिर तक 1.59 अरब तक पहुंच गयी है। और इसका मुनाफा दोगुना होकर 1.56 अरब डॉलर हो गया है।

भारत में मोबाइल फोन उत्पादन 10 करोड़ के स्तर पर पहुंचा

दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 30 जनवरी 2016 को मीडिया रिपोर्टों के अनुसार ग्लोबल बिजनेस समिट में कहा कि भारत में मोबाइल फोन उत्पादन 10 करोड़ के स्तर पर पहुंच गया है, और प्रमुख कंपनियां देश में विनिर्माण केंद्र स्थापित कर रही हैं। उन्होंने बताया कि दिसंबर 2015 के दौरान भारत में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण में 1.14 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जिसके अंतर्गत करीब 15 नए मोबाइल संयंत्रों की स्थापना हो रही है। इससे पहले 2014 में 6.8 करोड़ मोबाइल फोन का विनिर्माण किया गया था, जबकि अब 10 करोड़ का विनिर्माण हो रहा है।

बताया कि शीर्ष भारतीय कंपनियों के अलावा पैनासोनिक, मित्सुबिशी, निडेक, सैमसंग, बॉश, जबील, फ्लेक्स्ट्रॉनिक्स, कांटीनेंटल समेत सभी प्रमुख कंपनियां भारत में कारोबार कर रही हैं। इस मौके पर भारतीय सेल्युलर संघ के संस्थापक और अध्यक्ष पंकज मोहिंद्रू ने कहा कि मूल्य के लिहाज से देश में चालू वित्त वर्ष के दौरान पिछले साल के मुकाबले मोबाइल फोन उत्पादन 95 प्रतिशत बढ़ा है। सरकार के इस ओर किये गये गंभीर प्रयासों के फलस्वरूप इन नए निवेशों से देश में 30,000 नए रोजगार पैदा हुए हैं।

2013 में भारत में 55.48 करोड़ लोग प्रयोग करते थे मोबाइल और 14.23 करोड़ लोग इंटरनेट

वर्ष 2013 की अनुसंधान फर्म ‘जक्स्ट’ के एक सर्वेक्षण ‘इंडिया मोबाइल लैंडस्केप 2013’ के आधार पर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार देश में वास्तविक मोबाइल फोन धारकों की संख्या करीब 54 फीसदी यानी 29.8 करोड़ ग्रामीण, 25.6 करोड़ शहरी व कश्बाई मोबाइल धारकों के साथ 55.48 करोड़ तथा इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या 14.32 करोड़ रही।

जक्स्ट के सह संस्थापक मत्युंजय के अनुसार देश में इस दौरान चालू और वैध सिमों की संख्या 77.39 करोड़ थी, जिनमें से सिर्फ 64.34 करोड़ सिम का इस्तेमाल 55.48 करोड़ मोबाइल धारकों द्वारा किया जा रहा था। रिपोर्ट में देश में डेस्कटाप या लैपटाप, स्मार्ट टीवी या मोबाइल डेटा कनेक्शन के जरिये इंटरनेट एक्सेस करने वालों की संख्या 9.47 करोड़ और एयरटेल लाइव और रिलायंस आर वर्ल्ड जैसे आपरेटरों-पोर्टलों के जरिये इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या जोड़ने के बाद यह आंकड़ा 14.32 करोड़ हो जाता है।

भारत में मोबाइल फोनों की संख्या में दुनिया की सर्वाधिक वृद्धि

वहीं मोबाइल फोन निर्माता कंपनी एरिक्शन की मोबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 की तीसरी तिमाही यानी जुलाई से सितंबर के दौरान दुनिया में मोबाइल फोनों की संख्या करीब 8.7 करोड़ बढ़ी, जिसमें से सर्वाधिक वृद्धि भारत में 1.3 करोड़ की और दूसरे नंबर पर चीन में 70 लाख, तीसरे नंबर पर अमेरिका में 60 लाख, म्यांमार में 50 लाख व नाइजीरिया में 40 लाख की वृद्धि हुई। रिपोर्ट के अनुसार साल-दर-सात मोबाइल फोन धारकों की संख्या में पांच फीसद की वृद्धि हो रही है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इस अवधि में बिके मोबाइल फोनों में से 75 फीसद स्मार्ट फोन हैं, और इस प्रकार स्मार्ट फोनों का प्रतिशत पिछले वर्ष की तीसरी तिमाही के 40 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष 45 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में ब्रॉडबैंड के ग्राहकों की संख्या भी 16 करोड़ बढ़कर 3.4 अरब पहुंच गयी है, औ इसमें प्रतिवर्ष 25 फीसद की बढ़ोत्तरी हो रही है।

वर्तमान में देश की आबादी का करीब आधा हिस्सा-590 मिलियन यानी 59 करोड़ लोगों के पास मोबाइल फोन हैं, और 97.6 करोड़ मोबाइल कनेक्शन हैं तथा हर सेकेंड 3.5 नये कनेक्शन लिये जा रहे हैं। वर्ष 2015 के आखिर तक इस संख्या के एक अरब तक पहुंचने का अनुमान है। (केम्प साइमन-2015, ग्लोबल डिजिटल स्टैटशॉट-अगस्त 2015)। इसके अलावा मैरी मीकर की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 65 प्रतिशत इंटरनेट उपयोग मोबाइल फोन के जरिये हो रहा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 23.2 करोड़ इंटरनेट प्रयोक्ताओं के साथ भारत वर्ष-दर-वर्ष 37 प्रतिशत की गति से आगे बढ़ता हुआ विश्व का तीसरा सबसे बड़ा इंटरनेट प्रयोक्ताओं का बाजार है। इसके साथ ही भारत वर्ष 2014 को 6.3 करोड से अधिक़ इंटरनेट प्रयोक्ताओं को जोड़ने के के साथ प्रति वर्ष नये इंटरनेट प्रयोक्ताओं को जोड़ने के मामले में विश्व में प्रथम स्थान पर है।

गौरतलब है कि मोबाइल फोन ही भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में वृद्धि का प्रमुख कारण है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कम्प्यूटर टेबलेट पर इंटरनेट का उपयोग करने वाले प्रयोक्ता दिन में औसतन चार घंटे 43 मिनट, मोबाइल पर औसतन तीन घंटे 17 मिनट, सोशल मीडिया का उपयोग औसतन दो घंटे 36 मिनट है, जबकि इंटरनेट प्रयोक्ताओं के द्वारा औसतन दो घंटे चार मिनट ही टीवी देखा जाता है।

साथ ही यह भी कहा गया है कि सभी प्रकार के उपकरणों पर इंटरनेट का प्रयोग करने वाले 35 करोड़ लोगों में से सर्वाधिक 15.9 करोड़ यानी 45 प्रतिशत प्रयोक्ता मोबाइल के जरिये इंटरनेट का उपयोग करते हैं। इंटरनेट के मोबाइल पर अधिक उपयोग का कारण यह भी है कि मोबाइल पर इंटरनेट की अन्य माध्यमों के मुकाबले बेहतर गति प्राप्त होती है। यह भी बताया गया है कि 19 प्रतिशत मोबाइल कनेक्शन ब्रॉडबैंड के हैं, जबकि केवल 10 प्रतिशत फिक्स्ड हैं। यह स्थिति तब है जबकि भारत में औसतन सात में से एक व्यक्ति ऐसे क्षेत्र में रहते हैं, जहां मोबाइल के संकेत नहीं आते हैं।

भारत में एक साल में बढ़े 49 फीसद की दर से दस करोड़ नए इंटरनेट यूजर:

आईएमआरबी की ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारत ने पिछले एक वर्ष में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में 49 फीसदी की भारी-भरकम वृद्धि दर्ज कराते हुये 40 करोड़ प्रयोक्ताओं के आंकड़े पर पहुंचकर दुनिया में दूसरे स्थान पर पहुंचने का करिश्मा कर दिखाया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत को इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में एक करोड़ के आंकड़े से दस करोड़ तक पहुंचने में एक दशक लगा था और दस करोड़ से बीस करोड़ तक पहुंचने में तीन साल लगे। लेकिन तीस करोड़ से चालीस करोड़ तक पहुंचने में सिर्फ एक साल लगा है। इस रफ्तार को देखते हुए आने वाले वर्षो में भारत में इंटरनेट के प्रयोग की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। (दाधीच बालेन्दु शर्मा, राष्ट्रीय सहारा-उमंग, में 22 नवम्बर 2015 )

इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में वृद्धि समय लगा

  • 40 करोड़ से 50 करोड़ होने का लक्ष्य-2016 तक 1 वर्ष
  • 30 करोड़ से 40 करोड़-22 दिसंबर 2015 को 1 वर्ष
  • 10 करोड़ से 20 करोड़ 3 वर्ष
  • 1 करोड़ से 10 करोड़ 10 वर्ष

इधर एसोचैम यानी ‘द एसोसिएटेड चैंबर्स ऑफ कॉमर्श एंड इंडस्ट्री ऑफ इंडिया’ की 22 दिसंबर 2015 को जारी ताजा रिपोर्ट मंे भी इस आंकड़े की पुष्टि की गयी है कि भारत में इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या लगभग 400 मिलियन यानी 40 करोड़ हो गयी है। केंद्रीय संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वर्ष 2016 में इस संख्या को 50 करोड़ करने का इरादा जाहिर किया हैं।

भारत एशिया का सबसे तेजी से बढ़ता गेम्स ऐप बाजार, 2015 में हर स्मार्टफोन धारक ने डाउन लोड किये औसतन 32 ऐप, हिंदी ऐप केवल 26 प्रतिशत के पास:

भारत में स्मार्टफोन के अधिकतम उपयोग करने और सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिये एक-दूसरे से जुड़े रहने की होड़ में वर्ष 2015 मंे ह्वाट्सऐप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूसी ब्राउजर जैसे ऐप सबसे अधिक डाउनलोड किये गये। नाइन ऐप्स द्वारा जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह खुलासा करते हुए कहा गया है कि वर्ष 2015 में स्मार्टफोन धारकों ने औसतन 32 ऐप डाउनलोड किये, जिनमें फेसबुक, ह्वाट्सऐप, इंस्टाग्राम और यूसी ब्राउजर शीर्ष पर रहे, जबकि 17 प्रतिशत हिस्सेदारी गेम्स के ऐप्स की है।

रिपोर्ट के अनुसार भारत एशिया का सबसे तेजी से बढ़ता मोबाइल गेमिंग बाजार है, जिसका कारोबार 2018 तक 1 अरब डॉलर पार करने की संभावना है। वहीं केवल 26 प्रतिशत प्रयोक्ताओं के पास ही हिंदी भाषा के ऐप हैं। ज्यादातर उपभोक्ता अभी भी 2जी नेटवर्क के जरिये ही ऐप डाउनलोड करते हैं।

भारत में 95 प्रतिशत किशोर करते हैं इंटरनेट, और 81 प्रतिशत करते हैं सोशल मीडिया का उपयोग: एसोचैम

देश के अग्रणी वाणिज्यिक संगठन एसोचैम से संबद्ध सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन (एएसडीएफ) द्वारा सात मई 2014 को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश के टायर-1 व टायर-2 श्रेणी के दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र), मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चंडीगढ़ और देहरादून में शहरों में आठ से 13 वर्ष के 4200 बच्चों के माता-पिता पर किये गये एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग 73 फीसदी किशोर फेसबुक सहित किसी न किसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर सक्रिय हैं, तथा इनमें से कम से कम 72 फीसदी किशोर दिन में एक से अधिक बार इसका उपयोग करते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 85 फीसद बच्चों के द्वारा फ्लिक डॉट कॉम, गूगल प्लस, पिन्टरेस्ट आदि सोशल साइटों का प्रयोग भी किया जाता है।

वहीं एसोचैम सोशल डेवलपमेंट फाउंडेशन (एएसडीएफ) द्वारा ही इन्हीं शहरों के 6 से 13 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों के 4,750 परिजनों पर करवाए गए एक ताजा सर्वेक्षण की 21-22 दिसंबर 2015 को जारी ताजा रिपोर्टों के अनुसार ‘इंडियन ट्वीन्स आर ऑन फेसबुक डिस्पाइट बीइंग अंडर एज’ किया गया था।

इस रिपोर्ट के अनुसार देश के 12 से 17 वर्ष की आयुवर्ग के 95 फीसदी किशोर इंटरनेट का उपयोग कर रहे हैं। इनमें से 81 फीसद बच्चे सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहे हैं। सात से 13 वर्ष के 76 प्रतिशत बच्चों के यूट्यूब पर नियमविरुद्ध तथा अपने परिजनों की जानकारी में अकाउंट हैं। इन बच्चों में से 51 फीसदी बच्चों के पास स्मार्टफोन है, जबकि देश के करीब 35 प्रतिशत यानी करीब एक-तिहाई बच्चे लैपटॉप तथा 32 फीसदी बच्चे टैबलेट का उपयोग करते हैं, जबकि 18 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे ही सोशल साइटों पर अपने अकाउंट खोल सकते हैं। पांच वर्ष से अधिक उम्र के बच्चे केवल अपने अभिभावकों की अनुमति से खाते खोल सकते हैं।

इस सर्वेक्षण में यूट्यूब को सर्वाधिक-75 प्रतिशत बच्चों में लोकप्रिय बताया गया है, और इसका इस्तेमाल करने के मामले में लखनऊ सबसे ऊपर, दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) दूसरे स्थान पर रहा, जबकि इसके बाद मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, कोलकाता, बेंगलुरू, हैदराबाद, पुणे, कोयंबटूर, चंडीगढ़ और देहरादून आते हैं। एसोचौम स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष बी. के. राव ने कहा, ‘सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करने के बारे में बच्चे सही निर्णय नहीं ले पाते, जिसके कारण बच्चों के साइबर उत्पीड़न का शिकार होने का खतरा होता है। (http://assocham.org/newsdetail.php?id=4489)

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