March 29, 2024

भगवान ‘राम की नगरी’ के समीप माता सीता का वन ‘सीतावनी’, यहीं हुआ था लव-कुश का जन्म…

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Sitavani

डॉ. नवीन जोशी, नैनीताल, 22 जनवरी 2024। देवभूमि कुमाऊं-उत्तराखंड में रामायण में सतयुग, द्वापर से लेकर त्रेता युग से जुड़े अनेकों स्थान मिलते हैं। इन्हीं में से एक है त्रेता युग में भगवान राम की धर्मपत्नी माता सीता के निर्वासन काल का आश्रय स्थल रहा वन क्षेत्र-सीतावनी, जो अपनी शांति, प्रकृति एवं पर्यावरण के साथ मनुष्य को गहरी आध्यात्मिकता के साथ मानो उसी त्रेता युग में लिए चलता है।

4 BEST SIGHTSEEINGS TO VISIT WHILE ENJOYING YOUR VACATION IN KARMA SITABANIनैनीताल जनपद में भगवान राम के नाम के नगर-रामनगर से करीब 20 किमी दूर घने वन क्षेत्र में जिम कार्बेट नेशनल पार्क के निकट मौजूद सीतावनी माता सीता, लव-कुश व महर्षि बाल्मीकि के मंदिरों, सीता व लव-कुश के प्राकृतिक जल-धारों के साथ ही सैकड़ों प्रजातियों के पक्षियों को देखने के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए यहां जंगल सफारी के साथ ही पौराणिक महत्व के स्थल की आनंद दायक सैर को दोहरा आनंद लिया जा सकता है।

Pawalgarhसीतावनी क्षेत्र, जिम कार्बेट नेशनल पार्क से सटे हुए क्षेत्र में स्थित है, लेकिन जिम कार्बेट पार्क के अंतर्गत नहीं आता, इसलिए यहां सैलानी जिम कार्बेट पार्क की अनेकों बंदिशों की जगह स्वच्छंद तरीके से पैदल भी घूम सकते हैं, जो कि कार्बेट पार्क में संभव नहीं है। बावजूद, यहां जिम कार्बेट पार्क की तरह ही पार्क प्रशासन हाथी पर बैठकर सफारी करने की सुविधा भी देता है,

Preparation To Open New Tourist Gate In Sitavani Zone - Amar Ujala Hindi  News Live - Corbett National Park:सीतावनी जोन में नया पर्यटन गेट खोलने की  तैयारी, बढ़ेगा रोजगार, ऑनलाइन बुकिंग शुरूसाथ ही यहां पहुंचने के लिए रामनगर से जिम कार्बेट पार्क की तरह ही खुली जिप्सियों में रोमांचक सफर करने की सुविधा उपलब्ध है। कार्बेट पार्क की तरह सीतावनी क्षेत्र भी भारतीय बाघ-रॉयल बंगाल टाइगर के साथ ही हाथी, हिरन, सांभर, बार्किंग डियर, साही और किंग कोबरा का प्राकृतिक आवास स्थल है। इस तरह यहां कार्बेट पार्क के बाहर भी कार्बेट पार्क जैसा ही आनंद लिया जा सकता है।

Offbeat Places|Homestays|Sitabani, Corbett Places To Visit Jim Corbett  National Parkबाल्मीकि रामायण और गोस्वामीदास रचित रामचरित मानस के अनुसार त्रेता युग में भगवान राम द्वारा वनवास दिए जाने के दौर में सीता माता यहीं महर्षि बाल्मीकि के आश्रम में निर्वासित होकर रही थीं, और यहीं सीता-राम के पुत्र लव का तथा बाद में कुश घास की मदद से कुश का जन्म हुआ था।

Sitabani Temple (Jim Corbett National Park) - All You Need to Know BEFORE  You Go (with Photos) - Tripadvisorवहीं स्कंद पुराण के मानसखंड में सीतावनी के बारे में कहा गया है कि नैनीताल और कोटाबाग के बीच स्थित शेषगिरि पर्वत के एक छोर पर स्थित सीतावनी स्थित है, जहां महर्षि वाल्मीकि और सीता मंदिर के साथ ही सीता तथा लव व कुश के जल-धारे मौजूद हैं। कहते हैं कि इन जल-धारों पर स्नान करने से कैसे भी असाध्य त्वचा रोगों से मुक्ति मिल जाती है।

मूल संस्कृत रामायण ग्रंथ के रचयिता बाल्मीकि को भगवान का दर्जा प्राप्त है, लिहाजा उनसे जुड़ा स्थल होने के नाते उत्तराखंड सरकार इस स्थल को विकसित करने जा रही है। अपनी पौराणिक महत्व की वजह से यह पूरा मंदिर क्षेत्र भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा प्रबंधित है।

इसलिए इस स्थान की पौराणिकता और शांति अभी भी पुरानी जैसी ही बची है, और आज भी घने वन में संरक्षित बेहद प्राचीन मंदिरों की भूमि सीतावनी में पूरे विश्वास के साथ लगता है कि सीता, लव-कुश के साथ यहां रही होंगी, और लव-कुश यहीं खेले और पले-बढ़े होंगे। यहां हर वर्ष रामनवमी के मौके पर बड़ा और प्रसिद्ध मेला लगता है।

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सीतावनी के नाम से जाना जायेगा संरक्षित वन क्षेत्र

देहरादून। उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व पवलगढ़ कंजर्वेशन का नाम सीतावनी कंजर्वेशन कर दिया है। सीतावनी कंजर्वेशन में मां सीता का पौराणिक मंदिर और महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है, जिसकी देखरेख पुरातत्व विभाग करता है और यहां जाने की अनुमति वन विभाग देता है।

उत्तराखंड की धामी सरकार देश की पहली ऐसी सरकार है जिसने एक वन का नाम मां सीता के नाम पर रखा है। ये जंगल 5824.76 हैक्टेयर क्षेत्रफल का है और यहां बड़ी संख्या में पर्यटक और तीर्थयात्री भी जाते हैं। इस जंगल को सीतावनी कंजर्वेशन रिजर्व घोषित किए जाने की मांग रामनगर और आसपास के कई छोटे बच्चो ने पत्र लिखकर मुख्यमंत्री धामी से की थी। जिस पर वन विभाग के अधिकारियों को सीएम धामी ने निर्देशित किया था, जिस पर आज शासनादेश जारी कर दिया गया।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रभु राम का उत्तराखंड की देव भूमि से संबंध रहा है। इसी क्रम में पवलगढ़ कंजर्वेशन का नाम बदलकर अब सीतावनी किया गया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में कई बच्चो ने उन्हे पत्र लिख कर आए स्वयं हल्द्वानी में मिलकर अनुरोध भी किया था। उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है।

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